Varanasi

ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: सर्वे में मिली आकृति के पूजा पाठ और उसे हिन्दुओ को सौपने की याचिका पर अदालत में चलेगा ट्रायल, मस्जिद कमेटी के आदेश 7 नियम 11 की अर्जी हुई ख़ारिज

ईदुल अमीन/ मो0 सलीम

वाराणसी: वाराणसी के फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने आज ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर अहम फैसला देते हुवे मस्जिद कमेटी की आदेश 7 नियम 11 के तहत दाखिल मेंटेबिलिलिटी अर्जी को ख़ारिज कर दिया है। अदालत अब वादिनी मुकदमा पक्ष के जानिब से दाखिल याचिका जिसमे सर्वे में मिली आकृति (जिसको मस्जिद कमेटी फव्वारा होने का दावा कर रही है जबकि वादिनी पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है) के पूजा अर्चना की इजाज़त और उसको हिन्दू पक्षों को सौपने की मांग की गई है, पर सुनवाई करेगी।

बताते चले कि यह मामला ज्ञानवापी प्रकरण में सर्वे के दौरान मिली आकृति से जुड़ा है। कथित शिवलिंग मिलने के बाद विश्व वैदिक सनातन संस्था ने वाराणसी के फास्ट ट्रेक कोर्ट में एक अलग से याचिका दायर की थी। यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विशेन की पत्नी किरण सिंह और अन्य ने दाखिल की थी। याचिका में मांग की गई है कि उन्हें मिले हुए कथित शिवलिंग के पूजा पाठ का अधिकार मिले। इसमें मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित हो और ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए।

इस मामले में मस्जिद कमेटी की जानिब से आदेश 7 के नियम 11 के तहत अदालत में अर्जी दाखिल कर दलील पेश किया था कि यह मामला पोषणीय नहीं है, मेंटेनेबल नहीं है। इस मामले पर ट्रायल नही हो सकता है। इस मामले में बीते 15 अक्तूबर को ही अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थीं। तभी से आदेश में पत्रावली लंबित थी। आज आने वाले इस फैसले के मद्देनज़र गुरुवार को कोर्ट के आदेश के मद्देनजर अदालत परिसर में जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था रही। विश्व वैदिक सनातन संघ ने कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया है।

बताते चले कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से मुमताज अहमद, तौहीद खान, रईस अहमद, मिराजुद्दीन खान और एखलाक खान ने कोर्ट में दलील पेश करते हुवे सवाल उठाया था कि एक तरफ कहा जा रहा है कि वाद देवता की तरफ से दाखिल है। वहीं दूसरी तरफ पब्लिक से जुड़े लोग भी इस वाद में शामिल हैं। यह वाद किस बात पर आधारित है, इसका कोई पेपर दाखिल नहीं किया गया है और कोई सबूत नहीं है। कहानी से कोर्ट नहीं चलती, कहानी और इतिहास में फर्क है। जो इतिहास है वही लिखा जाएगा। साथ ही कानूनी नजीरे दाखिल कर कहा था कि वाद सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाए।

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