तारिक़ आज़मी
वाराणसी: हम कहते है बार बार कि स्मार्ट सिटी वाराणसी का सुपर स्मार्ट नगर निगम है। मगर काका है हमारे कि मानने को तैयार ही नही होते है। अब का बताये उम्र का तकादा भी होता है तो काका तो हुज्जत करने लगते है। अब कैसे उनको हम समझाए कि इतना स्मार्ट हमारा नगर निगम है कि उसके जितनी मजबूत सड़क बनाने की कोई सोच भी नही सकता है। इसका उदहारण आप देख सकते है कि पुरे 12 घंटे तक चलने वाली मजबूत सड़क हमारे स्मार्ट सिटी ने बीती रात बनाया था।
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काका मान ही नही रहे थे तो हम उनको लेकर चले गए वाराणसी के पितरकुंडा तिराहे पर। बीती रविवार को रात भर काम किया नगर निगम के द्वारा ज़िम्मेदारी लेने वाली कार्यदाई संस्था ने। पूरी रात काम करके 3 बजे रात में जाकर काम पूरा किया और सडक बना डाला। बहुत लोग कहते थे कि सड़क में यहाँ गड्ढा नही गड्ढे में सड़क है। सबकी बोलती बंद कर दिया था कार्यदाई संस्था ने पुरे रात काम करके। इतनी मजबूत सड़क बनाया, इतनी मजबूत सड़क कि कोई सोच नही सकता कि इतनी मजबूत सड़क बनाने के लिए। इतनी मजबूत सड़क कि पुरे 12 घंटे चली। काका देख कर शांत हो गए और मान गए कि वाकई हमारा नगर निगम जैसे स्मार्ट सिटी है वैसे ही स्मार्ट हो गया है।
मगर उनकी ख़ुशी एक ही लम्हे में काफूर हो गई जब उन्होंने इस नई नवेली बनी सड़क पर अपने कदम रखे। सडक निर्माण की गुणवत्ता का गुणगान सड़क की कंक्रीट कर रही थी। पैरो से ही हिलाने पर खुद भी हिल रही थी ऐसे जैसे लग रहा हो कि मोम से चिपकाया गया हो और अब मोम सुख गई हो। ऐसी गुणवत्ता के काम को बेशक आज किसी न किसी अधिकारी ने आकर चेक किया होगा। भले मौके पर वह अधिकारी महोदय आये हो अथवा नही आये हो और अपने दफ्तर में ही “आल इज वेल” लिख कर काम चला लिया हो। मगर आम जनता इसको देख रही है और समझ भी रही है।
अब आती है जिम्मेदारो से बात करके उनका नजरिया आपको बताने की तो नगर आयुक्त साहब से फोन पर बात करने के लिए पहले से ही अपोइन्टमेंट लेना होता है तब शायद एक हफ्ते बाद उनसे बात हो सके। घडी शाम का 6 बजे चुकी थी तो मुख्य अभियंता का भी फोन नही उठा। ऐसे में किसी ज़िम्मेदार की कोई भी प्रतिक्रिया हमारे पास तो है नही। मगर इतना मालूम है कि सुबह होते ही इसकी कवायद शुरू हो जाएगी कि इस बात का अब “पैच मैनेजमेंट” कैसे किया जाए? हमारा काम था दिखाना, बताना तो हमने अपने हिस्से का काम पूरा किया। मगर बेशक नगर निगम के जिम्मेदारो को भी अपने हिस्से का काम पूरा करना चाहिए। अगर सडक मरम्मत की ऐसी गुणवत्ता देनी है तो फिर इससे बेहतर तो कागज़ी घोड़े ही दौड़ा दे, क्या ज़रूरत इतनी भी मेहनत करने की।
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Sahi khabar ko dikhana hi ek पत्रकार ka dharm hai
सच्चा पत्रकार aisa hi निडर hota hai