शाहीन बनारसी
वाराणसी: बीते अगस्त में पूर्वांचल की सबसे बड़ी मार्किट नई सड़क, हड्हा और दालमंडी तथा आसपास के इलाको में एक व्यापारी संगठन का चुनाव हुआ। चुनाव भी ज़बर्दस्त रहा। प्रशासन ने पूरी सुरक्षाव्यवस्था के साथ इस चुनाव को अंजाम दिलवाया। 2 हज़ार 500 मतदाताओं के इस चुनाव में अध्यक्ष और महामंत्री जिस संगठन का चुना गया उस संगठन के पूरी चुनावी प्रक्रिया ही अब सवालो के घेरे में आ चुकी है। सरकारी कागजातों को अगर देखे तो इस जिस बनारस व्यापार मंडल नाम के पंजीकृत संस्था का चुनाव होने का ये पूरा आडम्बर जैसा खेला हुआ है। उस संस्था का चुनाव तो ऐसे हो ही नही सकता था।
बहरहाल, हम मुद्दे पर ही रहते है। बाइलाज में साफ़ साफ़ लिखा है कि “चुनाव में मतदान का अधिकार केवल उनको होगा जिनके पास ‘विशिष्ठ सदस्यता रसीद’ होगी।” अब ये विशिष्ठ सदस्य क्या है इसका भी साफ़ साफ़ ब्यौरा इस बाइलाज में लिखा हुआ है। बाइलाज में साफ़ साफ़ इसका वर्णन है कि विशिष्ठ सदस्य जो चुनावी प्रक्रिया में मतदान करने के अधिकारी है उनकी संख्या अधिकतम 151 होगी। बकिया साधारण सदस्य चुनावी प्रक्रिया में भाग नही ले सकते है। विशिष्ठ सदस्यों के लिए शुल्क 100 रुपया निर्धारित है। सवाल ये है कि संगठन का बाइलाज ही जब कहता है कि चुनाव में केवल 151 लोग ही मतदान कर सकते है तो फिर क्या प्रशासनिक “भौकाल” दिखाने के लिए चुनाव समिति ने 2500 मतदाताओं से चुनाव करवाया जिसमे पूरा प्रशासन परेशान रहा और सुरक्षा व्यवस्था के लिए चिंतित था? बाइलाज के विपरीत आखिर चुनाव क्यों हुआ और करवाया किसने?
क्या कहना है चुनाव सञ्चालन समिति का ?
हमने जब इस सम्बन्ध में चुनाव सञ्चालन समिति के हेड शकील अहमद उर्फ़ शकील भाजपा से बात किया तो उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि बाइलाज क्या इस संगठन का कहता है मुझको नही पता। मेरे पास कुछ लोग आये और कहा कि चुनाव करवाना है तो मैंने सदस्यता के अनुसार चुनाव करवा दिया। मुझे किसी ने इस संगठन का बाइलाज नही दिखाया था। अगर बाइलाज में ऐसा कोई निर्देश है तो किसी भी संगठन के लिए ऐसे निर्देश का पालन करना आवश्यक होता है। मगर इस बाइलाज की मुझको जानकारी नही थी।
इस सम्बन्ध में हमने मो0 असलम से बात किया। असलम भाई एक बेहतरीन इंसान और संभ्रांत नागरिक है। बाइलाज के अनुसार असलम भाई जिनको इलाके के लोग उनके कारोबार यानी चप्पल से जानते है इस बाइलाज में महामंत्री है। उन्होंने सपाट शब्दों में कहा कि मुझसे किसी ने कोई सलाज मशविरा नही किया था। मैंने अपने पद से इस्तीफा भी नही दिया है। फिर चुनाव कैसे हुआ और मेरे ही पद को किसी दुसरे के हवाले इस प्रकार से चुनाव करवा कर किया गया ये बात मुझको खुद नही पता है। मैं तो सिर्फ पुरे चुनाव में एक मूकदर्शक के तौर पर रहा।
इस अनसुलझे सवाल कि आखिर जब बाइलाज में चुनावी प्रक्रिया केवल अधिकतम 151 मतदाताओं के साथ लिखी हुई है साफ़ साफ़ तो फिर आखिर चुनाव इतने हो हल्ला के साथ करवाया किसने जिसमे प्रशासन को भी पसीना बहाना पड़ा था। मैं शाहीन बनारसी आपको एक बार फिर यह कहती हु कि चुनाव सञ्चालन समिति के तीनो सदस्य जिनके हमने बयान लिखे है वह सभी बेशक संजीदा, संभ्रांत नागरिक और इज्ज़तदार बुज़ुर्ग है। शकील चचा, बबलू चचा और असलम चचा सभी क्षेत्र के मानिंद है। उनके ऊपर कोई सवाल पैदा नही हो सकता है। तो बेशक जिसको चुनाव करवाने की जल्दी रही होगी उसने ही दाल में नमक की जगह तेजपत्ता डाल दिया होगा। मैं शाहीन बनारसी आपसे इस वायदे के साथ इजाज़त लेती हु कि अगले अंक में इस संगठन के बाइलाज की बातो का वह खुलासा करुँगी जिसको जानकार आप भी हैरान हो जायेगे और कहेगे कि बेशक सिर्फ शायद “भौकाल” जमाने के लिए ही चुनाव हो गया।
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