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अखबार “वाशिंगटन पोस्ट” ने झारखंड में अडानी के पॉवर प्रोजेक्ट पर उठाये गम्भीर सवाल

तारिक खान

डेस्क: झारखंड के गोड्डा में चल रहे अडानी के सबसे बड़े पॉवर प्रोजेक्ट पर अमेरिका के चर्चित अखबार वाशिंगटन टाइम्स ने बड़े आरोप लगाया है. वाशिंगटन पोस्ट ने 9 दिसंबर को पब्लिश अपनी पोस्ट में एक ऑनलाइन पोस्ट पब्लिश करते हुवे अडानी के इस पॉवर प्रोजेक्ट पर काफी गम्भीर सवाल उठाये है. वाशिंगटन पोस्ट ने 9 दिसंबर को पब्लिश अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने एक तरफ तो प्रदूषण फैलाने वाले कोल बेस्ड प्लांट के बजाय ग्रीन एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन दूसरी तरफ अडाणी के एक ‘गैरजरूरी’ पावर प्लांट को मंजूरी दी गई जिससे कुछ ही भारतीयों को फायदा होगा।

अडानी के इस प्रोजेक्ट पर वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस पावर प्लांट से बनी बिजली को पड़ोसी बांग्लादेश को बेचेगा। इससे भारत में कम ही लोगो को फायदा होगा जबकि असली फायदा अडानी समूह को होगा और इसकी सुविधाए बांग्लादेश को मिलेगी. दरअसल, गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट की 2 यूनिटें हैं जिनकी क्षमता 800-800 मेगावाट है। 16 दिसंबर से पहली यूनिट बिजली उत्पादन करने लगी जिसकी सप्लाई बांग्लादेश को होगी।

इस खबर को NBT ने प्रमुखता से उठाया है. उसने लिखा है कि वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पावर प्लांट के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज कर सरकार ने उसे मंजूरी दी जिसका फायदा गौतम अडाणी को होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपति अडाणी दुनिया में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट और कोल माइंस के सबसे बड़े प्राइवेट डिवेलपर हैं। सितंबर में ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स में गौतम अडाणी दुनिया के दूसरे सबसे रईस व्यक्ति थे। वह सिर्फ एलन मस्क से पीछे हैं। दिलचस्प बात ये है कि वॉशिंगटन पोस्ट का स्वामित्व दुनिया के सबसे अमीरों में से एक ऐमजॉन के मालिक जेफ बेजोस के पास है। फिलहाल अडाणी दुनिया के तीसरे सबसे रईस व्यक्ति हैं। उनके बाद चौथे नंबर पर जेफ बेजोस हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडाणी ग्रुप की कमाई में 60 प्रतिशत से ज्यादा कोयले पर आधारित बिजनसों से आता है। इनमें कोयले से चलने वाले 4 पावर प्लांट, कोयले की 18 खदानें और कोयले से जुड़े अन्य ऑपरेशन शामिल हैं। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जब पावर प्लांट को लेकर भारत और बांग्लादेश में समझौता हुआ था तब इसे दोनों ही पक्षों के लिए फायदे का सौदा दिख रहा था। तब बांग्लादेश में बिजली की काफी मांग थी। कपड़ा फैक्ट्रियां तेजी से बढ़ रही थीं और शहर तेजी से विकास कर रहे थे। तब बांग्लादेश ने 2020 तक मिडल इनकम वाले देश के दर्जे का लक्ष्य रखा था और 2030 तक इकॉनमी के तिगुने होने का अनुमान लगाया था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, अब बांग्लादेश पर कर्ज का भारी बोझ है और उसके पास पर्याप्त बिजली है। न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि गड्डा पावर प्लांट को लेकर 25 सालों के लिए की गई डील बांग्लादेश के लिए फायदा वाली नहीं है।

वाशिंगटन पोस्ट ने मोदी सरकार के पूर्व और मौजूदा अफसरों, अडाणी ग्रुप के पूर्व कमर्चारियों और एक्सपर्ट्स से दो दर्जन से ज्यादा इंटरव्यू के आधार पर दावा किया है कि अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए रास्ता बनाया जिसका कुछ खास आर्थिक फायदा नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2015 में बांग्लादेश दौरे के दरम्यान अडाणी के गोड्डा प्लांट की बुनियाद पड़ी। वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अडाणी समेत उद्योगपतियों को सस्ती दरों पर कोयले की सप्लाई का विरोध किया तो मोदी प्रशासन ने उसे नौकरी से निकाल दिया। जब पावर स्टेशन के खिलाफ एक स्थानीय जनप्रतिनिधि ने भूख हड़ताल की तो उसे 6 महीने तक जेल में रहना पड़ा।

NBT की खबर के अनुसार वाशिंगटन पोस्ट ने अधिकारियों और दस्तावेजों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मोदी सरकार ने कम से कम तीन मौकों पर अडाणी के कोयले आधारित बिजनस को फायदा पहुंचाने की कोशिश की। इससे अडाणी को कम से कम 1 अरब डॉलर की बचत हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि संपर्क करने पर अडाणी ग्रुप के प्रवक्ता ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि कंपनी की योजना धीरे-धीरे कोयले से शिफ्ट होकर रीन्यूएबल एनर्जी की तरफ बढ़ने की है। हालांकि, प्रवक्ता ने गोड्डा प्लांट को लेकर वॉशिंगटन पोस्ट के सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की। वॉशिंगटन पोस्ट का दावा है कि प्लांट को लेकर भारत सरकार ने भी उसके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया है।

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