आदिल अहमद
नई दिल्ली: केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ दूसरे दौर की बातचीत में गतिरोध दूर होने पर विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और रवि दहिया सहित अन्य पहलवानों ने जंतर मंतर पर तीन दिन से चल रहा अपना धरना समाप्त करने का फैसला कल शुक्रवार को देर रात लिया है। सरकार ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा अभी नहीं की गई है। यह समिति महासंघ के रोजमर्रा के काम को भी देखेगी।
टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने कहा, ‘हमारा विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया है। हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे, लेकिन पानी सर से ऊपर चला गया था। सरकार ने हमें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है, क्योंकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष से हमें अतीत में भी धमकी मिलती रही है।’ खेल मंत्री या पहलवानों में से किसी ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया। इससे एक दिन पहले पहलवानों ने कहा था कि वह डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
इसे पहलवानों की बड़ी जीत तो नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि वह तब तक अपना धरना जारी रखेंगे जब तक कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष को बर्खास्त करके महासंघ को भंग नहीं किया जाता। हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के संविधान के अनुसार किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) को तब तक भंग नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसने आईओए के किसी नियम या दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया हो या फिर विश्व संस्था ने उसकी मान्यता रद्द नहीं की हो।
गौरतलब है कि पहलवानों ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न को लेकर अभी तक पुख्ता सबूत पेश नहीं किए हैं। इससे पहले पहलवानों ने आईओए के पास जाकर जांच करने का आग्रह किया था। आईओएन ने उनकी मांगों पर गौर करते हुए एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच समिति गठित की। आईओए के पैनल में पहलवान योगेश्वर दत्त, तीरंदाज डोला बनर्जी और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष और आईओए के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव भी शामिल हैं।
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