मनोज गोयल
बरेली: हल्द्वानी में कथित रेलवे की संपत्ति का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। वही अचानक अपनी ज़मीनों के लिए चेते रेलवे ने अब बरेली के इज्ज़तनगर रेलवे प्लेटफार्म पर भी 500 साल पुराने मजार को तोड़ने का हुक्म जारी किया है। इस हुक्म के जारी होने के बाद एक बार फिर विवाद की ज़मीन तैयार होने लगी है। इस म्नामले में बरेली जनपद में 5 जनवरी सुनवाई होनी थी, परन्तु रेल प्रशासन के जानिब से कोई उपस्थित न हो पाने के कारण अगली सुनवाई की अदालत ने तारीख 29 जनवरी मुक़र्रर किया है।
इसके बाद अंग्रेज सिपाहियों की यहां ड्यूटी लगा दी गई। उसके बाद रात में अंग्रेजी फौज की आंखों के सामने बाबा की मजार के पीछे वाली रेल लाइन अपने आप हटने लगी। अंग्रेज सिपाहियों ने अपने अफसरों को इस बात की जानकारी दी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। अगले दिन अफसर रात में खुद वहां पहुंचे। उनके सामने भी यही रहस्यमयी घटना हुई। मजार के पीछे वाली रेल लाइन अपने आप हटने लगी। बहुत कोशिशों के बाद भी अंग्रेज कुछ ना कर सके तो ब्रिटिश हुकूमत ने रेल लाइन के मैप में बदलाव करने का फैसला किया और रेल लाइन का रूट बदला गया। यह मजार स्टेशन पर अप-डाउन लाइन की दो रेल पटरी के बीच में था। जो अब प्लेटफार्म पर आ गया है।
बात सिर्फ यही खत्म नही होती है। अंग्रेजों द्वारा पहाड़ से मैदानी इलाकों को जोड़कर रेलवे ट्रैक बिछाने का कार्य 1875 में शुरू हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत जाने के बाद इज्जत नगर रेल मंडल में 14 अप्रैल, 1952 को भारत सरकार के जीएम और डीआरएम स्टेशन पर आए। बताया जाता है कि उन्होंने भी मजार को हटाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वो भी इसमें कामयाब नहीं हो पाए। उनके साथ भी कुछ रहस्यमयी घटनाएं हुईं। इसके बाद उन्होंने भी मजार को हटाने से मना कर दिया। उसके बाद स्टेशन का रेल ट्रैक मीटरगेज से ब्रॉडगेज में परिवर्तित हुआ। इस दौरान भी मजार को हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन फिर रेल प्रशासन ने अचानक यह इरादा छोड़ दिया।
बहरहाल, मुस्लिम संगठनों ने मजार को लेकर बरेली जनपद न्यायालय में याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई पांच जनवरी को कोर्ट में होनी थी। कोर्ट ने पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों को समन भेजा था और पांच जनवरी को सभी दस्तावेजों के साथ हाजिर होने के निर्देश दिए थे, लेकिन रेलवे की तरफ से कोई कोर्ट नहीं पहुंचा। अब सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी तय की गई है। वहीं एहतियातन रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में आरपीएफ, जीआरपी और पीएसी को लगाया गया है।
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