तारिक़ आज़मी
कानपुर: सुनो….! सुनो…..! सुनो….! उन्नाव में सरकारी ज़मींन को धोखाधड़ी से बेचने वाला फरार आरोपी साहब लारी कही भी दिखाई दे तो तत्काल कानपुर पुलिस कमिश्नरेट को सूचित करे। उन्नाव पुलिस को उसकी तलाश है और उसके कानपुर में छिपे रहने की पूरी सम्भावनाये बताया जा रहा है। ख़ास ध्यान रखे कि कानपुर कमिश्नरेट पुलिस साहब लारी के संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। उन्नाव पुलिस को साहब लारी की तलाश है और उन्नाव पुलिस ने कानपुर कमिश्नरेट पुलिस से मदद मांगी है।
आरोप है कि इन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग कर दी। वहीं दूसरा मुकदमा कोर्ट के आदेश पर उन्नाव कोतवाली में सफीपुर निवासी प्रेम कुमार ने 12 आरोपियों पर जमीन कब्जा कर प्लाटिंग करने, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने व धोखाधड़ी करने की धारा में दर्ज कराया है। इसमें साहब लारी, गंगा प्रसाद, रामखेलावन, नन्हा, केशे लाल, उमर तारिक, उस्मान तारिक,खदी जरक, इस्माइल, नजीम अहमद, छोटे लाल व मुश्ताक अहमद नामजद आरोपी हैं। कुछ समय पहले ही दोनों केस दर्ज किए गए हैं। तब से आरोपी फरार चल रहे हैं। साहब लारी समेत आरोपियों की तलाश में उन्नाव पुलिस शहर में डेरा डाले हुए है।
याद दिलाते चले कि 13 जुलाई 2922 को जाजमऊ में शालीमार टेनरी पर कब्जे के प्रयास में दो पक्षों में बवाल हुआ था। पुलिस ने केस दर्ज कर पूर्व भाजपा नेता नारायण सिंह भदौरिया समेत आधा दर्जन आरोपियों को जेल भेजा था। इसमें बड़ा खेल साहब लारी का था। उसने पर्दे के पीछे रहकर टेनरी खरीदने की डील कर रखी थी। खाली कराने का ठेका पूर्व भाजपा नेता एंड कंपनी को दिया था। हैरानी की बात ये है कि इस केस की विवेचना धीरे धीरे ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी। साहब लारी का खेल उजागर नहीं किया गया। यहाँ बारीकी अब देखने वाली है। जिस साहब लारी की तलाश पुलिस को है पुलिस का मानना है कि उसी साहब लारी का पुलिस के उच्चाधिकारियों से उन्नाव के एक सिपाही ने सांठगांठ करावाया था। एक बड़े अफसर को जिले से हटाया गया। कुछ समय पहले ही नए एसपी की तैनाती हुई। तब केस दर्ज किए गए। सिपाही की तबादला दूरस्थ थाने में किया गया है।
अब सवाल ये है कि ये महज़ आरोप लगाने जैसी बात तो समझ में नही आ रही है। साहब लारी का एक इस्पेक्टर साहब से बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। तस्वीर गवाह है कि जब इस्पेक्टर साहब चकेरी थाने पर पोस्टेड थे तो साहब लारी की पत्नी ने उनको भाई बनाया था। अब भारी का फ़र्ज़ इस्पेक्टर साहब ने आउट आफ वे जाकर कितना पूरा किया ये समझने और विवेचना करने की बात है। वैसे सूत्र बताते है कि विवेचना ठन्डे बस्ते में डालने की पूरी कड़ी यही जुडती है। दुसरे तरफ साहब लारी फरार है जबकि पुलिस का कहना है कि वह उसकी तलाश कर रही है।
पुलिस वैसे इसमें एक कड़ी और जोड़ रही है सिपाही की। दुरस्त पोस्टेड हो चुके सिपाही के साथ भी साहब लारी के बड़े ही घनिष्ठ सम्बन्ध रहे है। तस्वीरे गवाही देने के लिए काफी है कि साहब लारी और सिपाही के बीच कितने घनिष्ठ या फिर कारोबारी रिश्ते रहे होंगे जिसकी जाँच होना तो बनता ही है। मगर सूत्रों का दावा ये भी है कि साहब लारी के इन दो करीबियों के बड़े ऊँचे स्तर पर जान पहचान है। तभी तो इतने बड़े आरोपो के बाद भी कोई कड़ी विभागीय कार्यवाही अभी तक नही हुई है। ऐसे में फरार साहब लारी क्या अपने करीबियों की शरण में है कहना कही से अनुचित नही होगा या फिर करीबी जानते है कि साहब लारी कहा है। अब देखना होगा कि साहब लारी की गिरफ़्तारी में पुलिस कब सफलता हासिल करती है।
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