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तुर्की और सीरिया में भूकंप का कहर: लगातार बढ़ रही मृतको की संख्या, अब भी मलबे में दबे है लोग, तुर्की में फिर महसूस हुए भूकंप के झटके

तारिक़ खान

डेस्क: सोमवार को तुर्की और पड़ोसी देशों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। सोमवार को तुर्की में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप से हाहाकार मच गया। भूकंप इतना खतरनाक था कि इसका असर सीरिया, लेबनान और इजराइल में भी महसूस किए गए। तुर्की में सबसे प्रभावित शहरो में राजधानी अंकारा, नूरदगी समेत 10 शहर रहे।  नूर्दगी से 23 किलोमीटर पूर्व की ओर यह झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई। तुर्की में आये भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। हर ओर लाशें बिछी हुई है। अभी भी कई जाने मलबे के नीचे दबी हुई है। भूकंप के तांडव के ज़द में कई जाने जा चुकी है।

बताते चले कि सोमवार को तुर्की में आये भूकंप से भीषण तबाही के बीच एक बार फिर कल यानी मंगलवार को भी भूकंप के झटके महसूस किये गये थे। मंगलवार की सुबह आए भूकंप के झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.5 मापी गई। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट के मुताबिक, मंगलवार को भी भूकंप का बड़ा झटका तुर्की में महसूस किया गया है। वेबसाइट के अनुसार, यह झटका सुबह करीब पौने नौ बजे दर्ज किया गया, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.5 रही। वही भूकंप का तांडव हर और नज़र आ रहा है। हर ओर चीख पुकार मची है।

भूकंप के कहर से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। भूकंप के कहर से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। द एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, तुर्की और सीरिया में शक्तिशाली भूकंपों के कारण अब तक 15,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। व्यापक तबाही के बीच मरने वालों की संख्या में वृद्धि जारी है। करीब 50 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। बड़ी तादात में लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। वही इस बीच तुर्की में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, तुर्की के नूरदगी शहर में ये भूकंप महसूस हुआ है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई है।

वहीं, भूकंप से आई तबाही के बाद मलबे के नीचे लोगों के जिंदा होने की अभी भी आशंका है। इसको देखते हुए राहत-बचाव का काम भी काफी संभलकर चल रहा है। जो जिंदा हैं, वो मलबों के ढेर में अपनों को तलाश रहे हैं। दिनरात मलबे की खुदाई चल रही है। लोग हाथों से भी मलबा साफ कर रहे हैं। कई जगहों पर रेस्क्यू करने वालों की कमी पड़ गई है। आलम ये है कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।

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