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तुर्की और सीरिया में भूकंप के कहर से आठ हज़ार से ज्यादा लोगो की हुई मौत, चीख रही है मलबे के नीचे दबी जाने, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और खाड़ी राज्यों सहित दर्जनों देशों ने मदद करने का किया वादा

आफताब फारुकी

डेस्क: सोमवार को तुर्की और पड़ोसी देशों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। सोमवार को तुर्की में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप से हाहाकार मच गया। भूकंप इतना खतरनाक था कि इसका असर सीरिया, लेबनान और इजराइल में भी महसूस किए गए। तुर्की में सबसे प्रभावित शहरो में राजधानी अंकारा, नूरदगी समेत 10 शहर रहे।  नूर्दगी से 23 किलोमीटर पूर्व की ओर यह झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई। तुर्की में आये भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। हर ओर लाशें बिछी हुई है। अभी भी कई जाने मलबे के नीचे दबी हुई है। भूकंप के तांडव के ज़द में कई जाने जा चुकी है।

बताते चले कि सोमवार को तुर्की में आये भूकंप से भीषण तबाही के बीच एक बार फिर कल यानी मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किये गये थे। कल मंगलवार की सुबह आए भूकंप के झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.5 मापी गई। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट के मुताबिक, मंगलवार को भी भूकंप का बड़ा झटका तुर्की में महसूस किया गया है। वेबसाइट के अनुसार, यह झटका सुबह करीब पौने नौ बजे दर्ज किया गया, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.5 रही। वही भूकंप का तांडव हर और नज़र आ रहा है। हर ओर चीख पुकार मची है।

भूकंप के कहर से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। जानकारी के अनुसार तुर्की और सीरिया में भूकंप के कहर से अब तक आठ हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। करीब 35 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। मृतकों और घायलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बड़ी तादात में लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। मलबे के नीचे लोगों के जिंदा होने आशंका को देखते हुए राहत-बचाव का काम भी काफी संभलकर चल रहा है। जो जिंदा हैं, वो मलबों के ढेर में अपनों को तलाश रहे हैं। दिनरात मलबे की खुदाई चल रही है। लोग हाथों से भी मलबा साफ कर रहे हैं। कई जगहों पर रेस्क्यू करने वालों की कमी पड़ गई है। आलम ये है कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।

आंकड़ों के अनुसार, तुर्किये और सीरिया में मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू के काम में करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुटे हुए हैं। इसमें अलग-अलग देशों की ट्रेंड टीमें भी शामिल हैं। भारत सरकार ने भी रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है। इसी तरह अमेरिका, चीन समेत कई देशों से दोनों देशों को मदद पहुंचाई जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद रेस्क्यू टीम कम पड़ गई है। हालात इतने बुरे हैं कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं और उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है।

भूकंप ने हजारों की संख्या में घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस दौरान तुर्किए और सीरिया में कड़ाके की ठंड ने भी लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। लोग सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। ठंड के चलते सबसे ज्यादा बच्चों की हालत खराब हो रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और खाड़ी राज्यों सहित दर्जनों देशों ने तुर्किये और सीरिया को मदद करने का वादा किया है। इन देशों में खोजी दलों के साथ-साथ राहत सामग्री हवाई मार्ग से पहुंचनी शुरू हो गई है। फिर भी कुछ सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।

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