शाहीन बनारसी
वाराणसी: शहर-ए-बनारस में आज विलादत-ए-मौला अली (अली डे) बड़ी ही धूम धाम से मनाया गया। कल देर रात से ही दरगाह-ए-फातमान में चहल पहल देखने को मिली।
कल रात से अभी तक सभी जायरीनो का हुजूम फातमान की ओर जा रहा है। अभी थोड़ी देर पहले जुलुस फातमान पंहुचा। और “मनकुन्तो मौला अली” के नारों से दरगाह-ए-फातमान गूंज उठा। शहर के विभिन्न इमामबाड़ो में सजाया गया है।
हर सु “मनकुन्तो मौला अली” के नारे बुलंद हो रहे है। लाल रंगों को पहन कर लोग इमामबाड़े जा रहे है। हर तरफ खुशियों का माहोल दिखाई दे रहा है। अली के चाहने वालो ने अलग अलग जगह सबीले लगाई हुई है।
लगभग हर घर के अन्दर ख़ुशी के माहोल दिखाई दे रहे है। अली डे के मौके पर कई जगह महफ़िलो का भी आयोजन हुआ है। महफ़िलो में अली की शान में नाते पढ़ी जा रही है।
हर साल की तरह इस साल भी मैदागिन के टाउन हॉल से जुलुस उठा। जुलुस चौक, नई सड़क होते हुए फातमान पंहुचा। जुलुस में लोग लाल कपडे पहन कर एक दुसरे से गले मिल कर खुशियाँ मनाते दिखे।
जुलुस में हर सु ये सदा आ रही थी “मुबारक हो मुबारक हो अली वालो मुबारक हो।” की सदा गूंज रही थी। लोग एक दुसरे को इत्र लगा कर अली की यौम-ए-विलादत पर बधाई दे रहे थे। काफी लोग एक दुसरे को मिठाई खिला आ रहे थे।
मशहूर सूफी संत अमीर खुसरो के कलाम “मनकुंतो मौला, फहदा अलियुन मौला” की सदा सुनाई दे रही थी, मुस्लिम समुदाय के लोग इस कव्वाली पर झूमते दिखाई दे रहे थे। जुलूस में भी कई अन्जुमन अपने अपने कलाम पढ़ रही थी।
जुलूस मौलाना शमिमुल हसन के सदारत में निकला था। जिसमे मौलाना सय्यद नदीम असगर, सय्यद वसीम असगर, सय्यद फरमान हैदर, मुनाजिर हुसैन मिन्जू आदि के जुलूस के साथ शामिल थे। जुलूस के रास्ते में कई जगह युवाओं ने सबील लगाया हुआ था।
सबील में लोगो के लिए पानी और मीठे की व्यवस्था थी। कई नुक्कड़ो पर सबील पर सभी आम-ओ-खास के लिए व्यवस्था थी। जुलूस अपनी अज़ीम-ओ-शान तरीकत से फातमान इमामबाड़े पहुच चूका है। जहा महफ़िल में तक़रीर और मौला अली के शान में कसीदे पढ़े जा रहे है। जुलूस में बुज़ुर्ग से लेकर बच्चे तक शामिल थे। सभी के चेहरों पर ख़ुशी की लहर थी। सभी एक दुसरे को बधाई दे रहे थे। एक दुसरे के गले लग रहे थे। अली के शान में लोग उनके बयानो का ज़िक्र कर रहे थे।