फारुख हुसैन
लखीमपुर-खीरी। कभी एक शेर सुना था। सरकार किसी की हो, सरकार पर हमारा शेर तंज़ नही है बल्कि कागजों पर घोड़े दौड़ाने वालो पर हमारा ये तंज़ है जिसको कहने में हम कोई हर्ज नही समझते है। कागज़ी घोड़े दौड़ाने वाले लोगो के लिए शेर है कि “तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है….! मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है….!!” ऐसे ही किताबी दावो की बानगी आपको दिखायेगे एक ऐसे सरकारी अस्पताल की जहा पर आज लगभग 9 साल गुज़र जाने के बाद भी इलाके के लोग परेशान है कि इसकी दूसरी मंजिल पर जाए तो जाए कैसे।
मोटी कहे, या फिर लाखों रुपये की लागत से बनाई गई इमारत कहे। मगर इस विशालकाय बिल्डिंग का शिलान्यास तो बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास से किया गया। खूब ताली बजी, खूब वाह वाही हुई। लेकिन सम्बंधित जिम्मेदार यह भूल गए कि इस दो मंजिला इमारत पर जाने के लिए एक सीढ़ी की भी जरुरत पड़ती है। अब उसका नतीजा ये निकला कि नीचे से आप देख तो सकते है कि इमारत के ऊपर भी एक फ्लोर है। मगर अब 9 साल में ये ऊपर का तल्ला ऐसा लगता है कि जैसे भुत बंगला बन गया हो।
यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि हम अस्पताल तो दवाई लेने आते है, लेकिन अस्पताल की दूसरी मंजिल पर कभी नहीं गए। हमें आज तक ऊपर जाने का रास्ता ही नहीं दिखा। वहीं सीएचसी अधीक्षक फूलबेहड़ अमितेश द्विवेदी ने बताया कि यहां सेकेंड फ्लोर बना है, जिसमें कई कमरे और एक हॉल भी है, लेकिन सीढियां नहीं बनी है। इससे मरीजों को भर्ती करने में समस्याएं होती हैं। साथ ही कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। सीएचसी प्रभारी फूलबेहड़ अमितेश द्विवेदी ने यह भी बतायां कि मैंने उच्च अधिकारियों से सीढियां बनवाने के लिए मांग की है। अब मांग कब पूरी होती है देखने वाली बात ही हो गई है।
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