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संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान विपक्ष ने अडानी मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा. टोपी लेकर सदन पहुची टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा “उन्होंने सारे देश को टोपी पहना दी है”

आदिल अहमद/ईदुल अमीन

नई दिल्ली: संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान अडानी मुद्दे पर संपूर्ण विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कई गम्भीर आरोप लगाया है। टीएमसी की सांसद महुआ मोईत्रा ने अडानी का नाम लिए बिना कहा कि एक इंसान जिसका नाम ‘ए’ से शुरू होता है और ‘आई’ पर ख़त्म होता है उसने पुरे को ठगा है। जिससे घोर पूंजीवाद की ‘बू’ आ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों की मदद से गौतम अडानी का सहयोग कर रही है।

टीएमसी सांसद महुला मोईत्रा जो एक क्रेडिट बैंकर भी रह चुकी है ने खबरिया साईट टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए अपने बयान में कहा है कि अरबपति व्यवसायी ने देश को ‘टोपी पहना’ दी है। एक ख्याति प्राप्त व्यक्ति जिसका नाम ‘ए’ से शुरू होता है और ‘आई’ पर खत्म होता है, जिससे घोर पूंजीवाद की बू आती है, ने सबको ठग लिया है। सरकार उसका सहयोग कर रही है। सदन में दो ‘बर्थडे कैप’ भी लेकर पहुंची थीं। पीठासीन सभापति ने उन्हें ये टोपियां पहनने से मना किया और इन्हें मेज से हटाने के लिए भी कहा। महुआ ने कहा कि वह 2019 से संसद में इस मुद्दे को उठाती आई हैं, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया और अब एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह विषय उठाया है, तो सबका ध्यान गया है।

महुआ ने दावा किया कि यह उद्योगपति प्रधानमंत्री के साथ उनके शिष्टमंडल में विदेश जाते हैं और खुद को प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘माननीय प्रधानमंत्री जी, इस आदमी श्रीमान ‘ए’ ने आपको टोपी पहना दी है। वह आपके साथ, आपके प्रतिनिधि मंडल के साथ घूमता है। वह दूसरे देशों के प्रमुखों की भारत यात्रा पर उनसे मुलाकात करता है। वह दुनिया को ऐसा प्रस्तुत करता है कि वह प्रधानमंत्री का रिमोट कंट्रोल है।’ टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने यह जानने की मांग की कि जब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट स्पष्ट तौर पर अडानी समूह की कंपनियों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में बात करती है तो क्यों अधिकरण इस समूह के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं कर रहे हैं।

डीएमके सांसद कनिमोझी ने उद्योगपतियों को परिरक्षण प्रदान करने के लिए सत्ता व्यवस्था पर हमलावर होते हुए मांग की कि सरकार यह स्पष्ट करे कि कैसे अडानी समूह पर लगाए जाने वाले आरोप ‘भारत से सवाल पूछने’ के समान हो सकते हैं। उन्होंने सरकार के शीर्ष नेतृत्व पर आंखें मूंदने और उद्योगपतियों के काले कारनामे सामने आ जाने के बाद भी उन्हें भरपूर समर्थन देने का आरोप लगाया। जेडी (यू) के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार अमृतकाल की बात कर रही है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। कुमार ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार लोगों को नौकरी देने में विफल रही है और काला धन वापस लाने में भी विफल रही है। उन्होंने बिहार के लिए विशेष दर्जे की भी मांग की।

आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जो बातें सामने आई हैं, उसकी आंच सरकार पर पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अब तक का सबसे बड़े घोटाला है और प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए या इसकी न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार गरीब विरोधी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं अडानी जैसे घरानों की समर्थक है। आरएसपी सदस्य ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में बेरोजगारी के विषय पर कुछ नहीं कहा गया है और केवल नौ वर्षों की तथाकथित उपलब्धियां गिनाई गई हैं।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में अल्पसंख्यकों का उल्लेख भी नहीं किया गया जिनकी देश की आबादी में 19 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘क्या यह बात सच नहीं है कि अल्पसंख्यकों के बजट में 40 प्रतिशत कमी की गई है। अल्पसंख्यक बच्चों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति बंद कर दी गई। नरेंद्र मोदी सरकार नहीं चाहती कि अल्पसंख्यकों के बच्चे तरक्की करें।’

उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार के शासनकाल में देश में सांप्रदायिक विभाजन हो रहा है और ‘मुसलमानों को हर महीने जान से मारने की धमकी दी जाती है।’ ओवैसी ने कहा कि सरकार को ‘उपासना स्थल अधिनियम’ में कोई संशोधन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘देश में मुसलमानों को डराया नहीं जाए।’ कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सत्यम जैसे घोटाले सामने आने पर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने तुरंत कार्रवाई की थी, लेकिन अडानी समूह से जुड़े खुलासे होने के बाद इस सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

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