तारिक़ खान
सूरत की एक निचली अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चार साल पुराने आपराधिक मानहानि केस में दो साल की सज़ा सुनाई है। हालांकि, अदालत ने उन्हें तुरंत बेल भी मिल गई है। अदालत ने उन्हें 10 हज़ार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है। राहुल गाँधी के पास 30 दिन का समय है इस फैसले के खिलाफ अपील करने का। राहुल गांधी मामले की सुनवाई के वक़्त गुरुवार को सूरत कोर्ट में मौजूद थे।
राहुल गांधी की वकीलों की टीम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वो किसी समुदाय को अपने बयान से ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे। राहुल गांधी ने कथित तौर पर ये बयान दिया था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है? यह मामला साल 2019 का है जिसमे राहुल गाँधी ने एक भाषण के दरमियाना ‘मोदी सरनेम’ को लेकर टिप्पणी किया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में राहुल गांधी को अधिक से अधिक सज़ा दिए जाने की मांग की थी।
आज हुई सज़ा के एलान के बाद राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के एक कथन को ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।” वहीं कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी तानाशाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं और उन्हें ईडी, पुलिस, केस, सज़ा से डराने की कोशिश हो रही है।
सज़ा के एलान के बाद याचिकाकर्ता पुर्णेश मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम इस फ़ैसले का दिल से स्वागत करते हैं। दो साल की सज़ा के एलान से खुश है या नहीं सवाल ये नहीं है। ये सामाजिक आंदोलन की बात है। किसी भी समाज, जाति के ख़िलाफ़ बयान नहीं दिया जाना चाहिए। और कुछ नहीं। बाकी हम अपने समाज में बैठकर आगे चर्चा करेंगे। “
क्या पड़ेगा राहुल गाँधी को सजा मिलने के बाद उनके संसद सदस्यता पर असर
मौजूदा सांसद होने की वजह से राहुल गांधी की सांसदी फिलहाल ख़तरे में नहीं है। उनके पास इस फ़ैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय है। इस सम्बन्ध में हमसे बात करते हुवे कानून के जानकारी अधिवक्ता शिशिर सिंह ने कहा कि उनकी सदस्यता पर इस फैसले का असर नही पड़ेगा। “1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत किसी सदस्य को सदन से अयोग्य साबित करने के कई मानदंड हैं। जैसे कि अगर किसी भी सदन के सांसद को किसी अपराध के लिए छह साल से अधिक की सज़ा हो, या फिर उन्हें कुछ दूसरी धाराएं जैसे सेक्शन 153A ( धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध, और सद्भाव कायम रखने के विरुद्ध काम करना) या फिर सेक्शन 171एफ़ ( चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने से जुड़ा अपराध)।”
उन्होंने बताया कि 1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत जिन अपराधों का ज़िक्र नहीं है, वैसे किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति, जिसे दो साल के ज़्यादा कि सज़ा हुई है, उसे उसी दिन से अयोग्य घोषित किया जाएगा और बाहर आने से छह साल बाद तक वो अयोग्य ही रहेगा।”
पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “इसका हमको अंदाज़ा लग रहा था। राहुल को बेल भी मिली है। आगे की रणनीति हम संविधान के अनुसार तय करेंगे। बीजेपी ख़ुद को छोड़कर बाकी सबपर उंगली उठाती है।” कांग्रेस चीफ़ ने बीजेपी सरकार को तानाशाह बताते हुए ये दावा किया कि राहुल गांधी सरकार के काले कारनामों को उजागर कर रहे हैं, इसलिए सरकार उनसे तिलमिलाई हुई है। वहीं, प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार की पूरी मशीनरी साम, दाम दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका ने कहा कि उनके भाई कभी न डरे हैं और न कभी डरेंगे।
राहुल को हुई सज़ा पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया में कहा, “अब मोदी नाम लेने पर ही सज़ा हो जाती है। राहुल गांधी ऐसे व्यक्ति हैं जो पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने किस संदर्भ में कहा वो भी तो देखिए। नीरव मोदी, ललित मोदी।।और भी मोदी हैं जो देश का पैसा लेकर भाग गए, उनके बारे में बात कही।” दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि ग़ैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुक़दमे करके उन्हें ख़त्म करने की साज़िश हो रही है।
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