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राहुल गाँधी के यूके में दिए गए भाषण को भाजपा द्वारा ‘भारत का अपमान’ करने की बात पर कांग्रेस का ज़बरदस्त पलटवार, सुप्रिया श्रीनेत्र ने प्रधानमन्त्री मोदी के विदेशो में दिए भाषणों को पोस्ट कर कही यह बात

तारिक़ खान

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा यूके में मोदी सरकार की आलोचना को भाजपा नेता कांग्रेस द्वारा ‘भारत का अपमान’ करने की बात कह रहे है। इस एक मुद्दे पर राहुल गाँधी से सदन में माफ़ी मांगने के लिए भी भाजपा सांसद हंगामा कर रहे है और सदन नही चल पा रहा है। आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहला मौका राजनितिक जानकार बताते है कि जब सत्तारूढ़ दल के द्वारा सदन चलने में अवरोध उत्पन्न हो रहा हो।

मगर भाजपा के इन आरोपों पर अब कांग्रेस ने पलट जवाब देना सीख लिया है। अब कांग्रेस की तरफ से नौ क्लिप्स जारी की गई हैं, जिनमें में वे हिंदुस्तान के बाहर विभिन्न देशों में कांग्रेस की पिछली सरकार का कथित अपमान या अगंभीर तरीके से इसके बारे में बोलते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी दिख रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो क्लिप्स की एक श्रृंखला ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘हर समय जब पीएम मोदी ने विदेशों में भारत का अपमान किया था।’ अधिकांश भाषण नरेंद्र मोदी के देश की सत्ता में आने के बाद के शुरुआती वर्षों के थे और इनमें मनमोहन सिंह सरकार के संदर्भ और आलोचनाएं शामिल थीं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने ट्वीट्स की श्रृंखला में नरेंद्र मोदी के दोहा की राजधानी क़तर में दिए उस बयान का भी जिक्र किया है, जहां वे पिछली सरकारों को ‘अनिर्णायक कहते हैं. इसी तरह, कैलिफ़ोर्निया में उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि ‘अभी तो हिंदुस्तान के लिए जो सपने देखे गए, वो पूरे ही नहीं हुए।’

शंघाई का वीडियो

सुप्रिया श्रीनेत्र द्वारा ट्वीट किया गया यह वीडियो मई 2015 का बताया गया है और कहा गया है कि शंघाई में नरेंद्र मोदी भारतीय समुदाय से मुखातिब थे और यहां उन्होंने कहा था कि उन्होंने विदेशों में बसे भारतीयों को हिंदुस्तानी होने का गर्व दिया है। उन्होंने यह जताते हुए कि साल भर पहले लोग उनकी जीत का जश्न मना रहे थे, कहा था, ‘एक साल पहले एक ही स्वर दुनिया भर से सुनाई दे रहा था – “दुख भरे दिन बीते रे भईया, दुख भरे दिन बीते रे भईया।’ आप तो विदेशों में रह रहे थे, कैसा समय बीता था? हिंदुस्तान के हो? ऐसा ही होता था – इंडिया से है, अरे चलो चलो यार। ऐसा ही होता था कि नहीं होता था? कोई पूछने को तैयार था क्या? कोई सुनने को तैयार था क्या? कोई देखने को तैयार था क्या? एक साल के भीतर-भीतर आप सीना तानकर, आंख मिलाकर के दुनिया से बात करते पाते हो कि नहीं कर पाते? दुनिया आपको आदर से देखती है कि नहीं देखती है? आपको स्वयं भारत की प्रगति के प्रति गर्व होता है कि नहीं होता है?’द हिंदू ने उस समय इस बारे में खबर भी प्रकाशित की थी. वेबसाइट स्क्रॉल ने बताया था कि मोदी के इस बयान को लेकर आपत्ति भी जताई गई थी।

दक्षिण कोरिया

सुप्रिया श्रीनेत्र ने एक और वीडियो ट्वीट करते हुवे कहा है कि यह वीडियो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 मई 2015 को सियोल में दिया था। यहां भी वे भारतीय समुदाय से बात कर रहे थे, जब उन्होंने कहा, ‘पहले लोग कहते थे पता नहीं पिछले जन्मों में क्या पाप किया है हिंदुस्तान में पैदा हो गए, ये कोई देश है! ये कोई सरकार है! ये कोई लोग हैं! चलो छोड़ो, चले जाओ कहीं और!’ यह भाषण उनके नाम पर बने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर सुना जा सकता है।

इस भाषण में उन्होंने आगे कहा था, ‘… और लोग निकल पड़ते थे, कुछ वर्षों में हम ये भी देखते थे उद्योग जगत के लोग कहते थे कि अब तो यहां व्‍यापार नहीं करना चाहिए, अब यहां नहीं रहना है। और ज्‍यादातर लोगों ने तो एक पैर बाहर रख भी दिया था। मैं इसके कारणों में नहीं जाता हूँ। और न ही मैं कोई राजनीतिक टीका-टिप्‍पणी करना चाहता हूं। लेकिन यह धरती की सच्‍चाई है कि लोगों में एक निराशा थी, आक्रोश भी था। और मैं आज विश्‍वास से कह सकता हूं कि अलग-अलग जीवन क्षेत्रों के गणमान्‍य लोग, बड़े-बड़े वैज्ञानिक क्यों न हों, विदेशों में कितनी ही कमाई क्‍यों न होती हो, उससे कम कमाई होती हो तो भी आज भारत वापस आने के लिए उत्‍सुक हो रहे हैं, आनंदित हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा  था, ‘ये जो मूड बदला है, जो मिजाज़ बदला है। और आखिरकार देश होता क्‍या है जी! सरकार यानी देश नहीं होता, मोदी यानी देश नहीं होता है, सवा सौ करोड़ देशवासियों को ज़ज्‍बा ही तो होता है जो हिंदुस्तान होता है।’

जर्मनी

बात 2022 की है, मोदी जर्मनी के बर्लिन में थे, जहां उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि उसके शासन में भारतीयों को एक रुपये में से केवल 15 पैसे का लाभ मिलता था। उन्होंने अपने चर्चित थिएटर के अंदाज़ में कहा था, ‘वो कौन-सा पंजा था… (दर्शकों की प्रतिक्रिया के लिए रुकते हुए) वो कौन-सा पंजा था जो 85 पैसे घिस लेता था?’ ज्ञात हो कि कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा है।

ऑस्ट्रेलिया

बात नवंबर 2014 की है, जब नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता शिखर पर थी। तब तीन दशकों में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचा था। मोदी सिडनी के अलफोंस एरिना में भारतीय समुदाय को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यहां कहा, ‘पहले की सरकारें इस बात का गर्व करती थीं कि हमने यह कानून बनाया, हमने ढिकना कानून बनाया, हमने फलाना कानून बनाया, आपने सुना होगा सब चुनावों में। मेरी गाड़ी उल्टी है। उनको कानून बनाने में मजा आता था, मुझे कानून खत्म करने में आनंद आता है।’ यह भाषण इस लिंक पर सुना जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका

इससे पहले सितंबर 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर में भी नरेंद्र मोदी ने कानून तोड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, ‘हमारे यहां पहली जो सरकारें थी वे इस बात का गर्व करती थीं कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया, हमने फलाना कानून बनाया, हमने ढिकाना कानून बनाया। आपने पूरे चुनाव कैंपेन में देखा होगा, यही बातें चलती थीं… मैंने, जितने पुराने कानून हैं, बेकार कानून हैं, सबको खत्‍म करने का काम शुरू किया है। इतने आउटडेटेड कानून! ऐसा कानूनों का जाल! कोई भी व्‍यक्ति बेचारा एक बार अंदर गया तो बाहर नहीं निकल सकता। मैंने विशेषज्ञ लोगों की कमेटी बनाई है, उनको कहा है- निकालो! अगर हर दिन एक कानून मैं खत्‍म कर सकता हूं तो मुझे सबसे ज्‍यादा आनंद होगा।’

कनाडा

 2015 में टोरंटो में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘… जिनको गंदगी करनी थी वे गंदगी करके चले गए लेकिन हम सफाई करके जाएंगे.’ यह वीडियो इस लिंक पर देखा जा सकता है।

यूनाइटेड किंगडम

2018 में लंदन में नरेंद्र मोदी ने देश के डॉक्टरों को लेकर टिप्पणी की थी, जिस पर देश के चिकित्सकों द्वारा जताए गए रोष को भी दिखाया गया था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो क्लिप में मोदी अस्पताल और दवाइयों की बात करते हुए कहते हैं, ‘… दवाई लिखने वाले को भी कुछ मिलता रहता है। आप जानते होंगे डॉक्‍टरों की कॉन्‍फ्रेंस कभी सिंगापुर होती है, कभी दुबई होती है, हैं। वहां कोई बीमार है इसलिए नहीं जाते हैं, फार्मास्‍युटिकल कंपनियों के लिए जरूरी है, करते हैं।’ देश के चिकित्सक संघों ने इस बयान को अवांछित बताते हुए इस पर नारजगी दर्ज करवाई थी।

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