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तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: बेशक बहुत कडवी लगी होगी ‘नफरत के चाहने’ वालो को ‘नफरती बयानबाजी’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

तारिक़ आज़मी

डेस्क: कल बुद्धवार को सुप्रीम कोर्ट ने नफरती बयान को लेकर के दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कई तल्ख़ टिप्पणी किया है। बेशक सुप्रीम कोर्ट की ये बाते नफरतो से मुहब्बत करने वालो को बड़ी कडवी लगी होगी। मगर कई सच कडवा होता है। मगर इस कडवी हकीकत को कही न कही से हमको कबूल करने में कोई हर्ज नही लगता है। मुल्क की सबसे बड़ी अदालत कल शाहीन अब्दुल्लाह द्वारा दाखिल हेट स्पीच के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कल हुई सुनवाई के दरमियान जस्टिस के0 एस0 जोज़फ़ कहा कि हर रोज टीवी पर और सार्वजनिक मंच पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं, क्या ऐसे लोग खुद पर कंट्रोल नहीं कर सकते ? बेशक सुप्रीम कोर्ट की इस तल्ख टिप्पणियों से नफरत से मोहब्बत करने वालों को बुरा तो बहुत लगा होगा। इसमें भी कोई शक नहीं है कि नफरत फैलाने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी बाजपेई के भाषणों को सुनने के लिए लोग दूर-दराज के इलाकों से इकट्ठा होते थे। ‘गो टू पाकिस्तान’ जैसे बयानों से नियमित रूप से गरिमा को तोड़ा जाता है। हम कहां पहुंच गए हैं ?’ यह लफ्ज़ काफी कड़वा भी लगा होगा। मगर हकीकत जिंदगी में यह भी एक सच्चाई है कि मोहब्बत के समाज में नफरतों की खेती करने वालों की कमी नहीं है।

अदालत ने कल सुनवाई करते हुए कहा था कि जिस वक्त राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे, ऐसे भाषण अपने आप समाप्त हो जाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि हम अपने हालिया फैसलों में कह चुके हैं कि धर्म को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। जस्टिस के ऍफ़ जोज़फ़ और जस्टिस बीवी नागराजन के बेच ने हेट स्पीच को लेकर दाखिल इस याचिका पर सुनवाई के दरमियान ये तल्ख़ टिप्पणी किया था।

अदालत ने सुनवाई के दरमियान कहा कि हर दिन कुछ लोग टीवी और सार्वजनिक मंचों पर दूसरे को बदनाम करने के लिए भाषण दे रहे हैं। जिस पर रोक लगनी चाहिए। अदालत कब तक इतने लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकती है। अदालत ने कहा कि राज्य समय पर काम नहीं करते। जब वह ऐसे मसलों पर चुप्पी साध लेंगे तो उनके होने का मतलब क्या है ? बताते चले कि शाहीन अब्दुल्ला ने हेट स्पीच पर रोक लगाने को लेकर याचिका दाखिल किया था।

याचिकाकर्ता ने कहा कि हेट स्पीच पर रोक हेतु सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी हिंदू संगठन अभी भी हेट स्पीच दे रहे हैं। इस मसले पर सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। कल सुप्रीम कोर्ट की इन तल्ख़ टिप्पणी ने कई नफरतो के चाहत रखने वालो को कडवी घूंट दिया है।

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