शिखा प्रियदर्शिनी
डेस्क: राहुल गांधी की संसद में सदस्यता समाप्त होने के बाद पूरा विपक्ष ही केंद्र की भाजपा सरकार पर ज़बरदस्त तरीके से हमलावर है। सूरत की सेशन्स कोर्ट ने उन्हें एक मानहानि मामले में दोषी क़रार दिये जाने के बाद लोकसभा के स्पीकर ओम बिडला ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दिया है। इस सम्बन्ध में सदन द्वारा पत्र भी जारी हो चूका है। भले ही सूरत की स्थानीय अदालत ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई है। मगर तुरंत उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। मगर इस फैसले के आधार पर लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी।
हमने इस मामले में बात की इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नसीम अहमद से बात किया तो उन्होंने हमको बताया कि “संविधान की धारा 102-1(E) और जनप्रतिनिधित्व ऐक्ट की धारा-8(3) के तहत ये डिस्क्वॉलिफ़िकेशन हुई है। अब उनके पास यही ऑप्शन है कि जो आदेश सूरत की सेशन कोर्ट ने दिया है, राहुल उसे चुनौती दें। या तो वो ऐपिलेट कोर्ट जाएं, जहां लोअर कोर्ट के फ़ैसलों पर रिव्यू होता है। या सीधे हाई कोर्ट चले जाएं। अगर हाई कोर्ट इस आदेश पर स्टे लगा देता है और अगर ये अपील करें, तो सदस्यता वापस मिल सकती है।
जहां तक चुनाव लड़ने का सवाल है, अभी ये बहुत बड़ी चिंता नहीं है। मुझे लगता है वो 1-2 दिन में ही उच्च न्यायालय जाएंगे और प्रयास तो यही करेंगे कि फ़ैसला उनके पक्ष में आ जाए।” उन्होंने बताया कि इसके अलावा राहुल के पक्ष में एक और बात है। सुप्रीम कोर्ट का एक फ़ैसला। लोक प्रहरी बनाम इलेक्शन कमिशन (2008) केस में कोर्ट ने कहा था कि “अपील के लंबित रहने के दौरान अगर फ़ैसले पर रोक लग जाती है, तो फ़ैसले की वजह से जो अयोग्यता है, वो प्रभावी नहीं रहेगी।”
हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि गांधी को वही सीट वापस मिलेगी या नहीं क्योंकि उन्हें स्पीकर की अयोग्यता अधिसूचना को अलग से चुनौती देनी होगी। वही दूसरी तरफ समूचा विपक्ष इस कार्यवाही से नाराज़ दिखाई दे रहा है। आज विपक्ष सदन से इस कार्यवाही की जानकारी होने पर वाकआउट कर गया था।
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