तारिक़ आज़मी
डेस्क: उर्जा मंत्री और हडताली कर्मियों के प्रतिनिधि मंडल के बीच हुई आज वार्ता के बाद आम जनता के लिए राहत भरी खबर आई है कि विद्युत कर्मियों की हड़ताल वापस हो गई है। उर्जा मंत्री ए0 के0 शर्मा ने इस बात की घोषणा किया कि समस्त समझौतों का पालन होगा और जो कार्यवाही हुई है, वह सभी वापस ली जायेगी। हड़ताल वापस लेने की पुष्टि शैलेन्द्र दुबे ने हमसे फोन पर हुई बातचीत में किया।
पूर्व में इस इस समबन्ध में शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि वार्ता हेतु उर्जा मंत्री स्वयं नही आये। उनके प्रतिनिधियो द्वारा बार बार मंत्री जी आ रहे है कह कर तीन घंटे बैठाले रखा गया। उसके बाद कहा गया कि मंत्री जी नही आयेगे। जिसके बाद सभी हडताली कर्मियों को बताता गया कि मंत्री जी वार्ता हेतु नही आयेगे। सरकार ने हड़ताली बिजली कर्मियों के साथ वार्ता जल निगम के होस्टल में रखा था। इस प्रकार से वार्ता एक बार फिर विफल रही है। अब 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का समय पूरा होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि क्या हड़ताल आगे जारी रहेगी अथवा ख़त्म होगी। फिलहाल हाई कोर्ट द्वारा हड़ताली कर्मियों को बुलाये जाने के बाद सभी 22 नेता प्रयागराज कल अदालत में उपस्थित होने के लिए निकल गए है।
बताते चले कि हाई कोर्ट ने हड़ताली कर्मियों के प्रतिनिधि मंडल को कल सोमवार को अदालत में तलब किया है। हडताली कर्मियों के मुख्य मांग में चेयरमैंन पद हेतु बनी नई व्यवस्था का मुद्दा मुख्य है। हड़ताल पर गए विद्युत कर्मियों की मांग है कि विद्युत बोर्ड के चेयरमैन देवराज को उनके पद से हटाया जाए। चेयरमैंन चुनने के लिए नई व्यवस्था खत्म कर पुराने व्यवस्था को लागू किया जाये। तथा चेयरमैन इंजिनियर लाबी से नियुक्त किया जाये तो समस्त जानकारी विद्युत विभाग की रखता हो।
गौरतलब हो कि वर्ष 2015 में चेयरमैन नियुक्ति की एक नई प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसके तहत चेयरमैन आईएएस नियुक्त होने लगे। विद्युत बोर्ड में इसके पूर्व एक समिति होती थी जो चेयरमैन की नियुक्ति करती थी। वर्त्तमान चेयरमैन देवराज वर्ष 1994 बैच के आईएएस है और उनकी गिनती साफ़ छवि की मानी जाती है। विद्युत बोर्ड हानि में होने की चर्चा अक्सर रहती है। हड़ताली विद्युत् कर्मियों की मांग है कि वर्त्तमान चेयरमैन देवराज को पदमुक्त कर पुरानी व्यवस्था को लागू किया जाए जिसमे इंजिनियर लाबी से चेयरमैन चुना जाए। ताकि वह विद्युत् विभाग की जानकारी पूरी रखता हो। वही साथ ही उनकी मांग है कि संविदा कर्मियों को परमानेंट किया जाए।
इसके पूर्व विद्युत् कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शलेन्द्र दुबे ने अपने बयान में कहा था कि हम वार्ता हेतु हमेशा तैयार है। कर्मचारियों के लिए हम झुकने को भी तैयार है, मगर उर्जा मंत्री अपनी हठधर्मिता पर है। चेयरमैन और उर्जा मंत्री आज वार्ता हेतु नही आये। संविदा कर्मियों को हटाये जाने का हम विरोध कर रहे है। वार्ता के सभी मार्ग खुले है। रात 10 बजे जब 72 घंटे हड़ताल के पुरे होंगे तब हम आगे की रणनित पर विचार करेगे। फिलहाल हम हाई कोर्ट के हुक्म पर अदालत में पेश होने के लिए जा रहे है।
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