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पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर और कथित वसूली लिस्ट, क्या आईपीएस साहब…….! ‘कऊनो फिरकी ले रहे है का, सच कहे तो झूठ का पुलिंदा के अलवा कुछ नही रहती है लिस्ट

ए0 जावेद

पूर्व आईपीएस अमिताभ और कथित वसूली लिस्ट एक दुसरे के पूरक होते जा रहे है। कभी कुछ तो कभी कुछ। कोई न कोई सूत्र एक कागज़ का टुकड़ा थमा देता है और आईपीएस साहब उसको वायरल कर देते है। किसी के ऊपर भी कोई भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लग जाए। जाँच में निकले निल बटा सन्नाटा। मगर उस व्यक्ति के ऊपर तो लग गया ठप्पा कि लिस्ट वायरल हुई थी।

ऐसी एक लिस्ट वायरल हुई थी विगत दिनों चौक थाना क्षेत्र के पियरी पुलिस चौकी की। तत्कालीन चौकी इंचार्ज प्रीतम तिवारी के ऊपर आरोप था। जाँच हुई और खुद एसीपी दशाश्वमेघ ने जाँच किया। उस लिस्ट में निष्कर्ष निकला वही ‘निल बटा सन्नाटा।’ मगर जनता के सामने ये सच नही आया कि लिस्ट झूठी थी उस लिस्ट में शामिल एक एक नाम ने आकर बयान दिया कि भाई लिस्ट झूठी है। जनता के सामने तो एक बात आ गई कि पियरी चौकी इंचार्ज के ऊपर करप्शन का आरोप लगा। उस पर सबसे बड़ा हुआ कि रूटीन ट्रान्सफर में प्रीतम तिवारी का ट्रांसफर हो गया।

इसके बाद पिछले दिनों लिस्ट वायरल हुई साहब एडीसीपी (काशी) के नाम से। लिस्ट पढ़कर हंसी के अलावा कुछ नही आ सकता है कि आखिर क्या है ये सब ? लिस्ट में नाम ऐसे ऐसे थे कि जो खुद अपनी इमानदारी के लिए खुद की कुर्सी तक दाव पर लगा बैठे थे। दो उदाहरण आपको देता हु। पहला चौकाघाट चौकी इंचार्ज का नाम था। चौकाघाट चौकी इंचार्ज है सुफियान खान। सुफियान खान वही दरोगा है जो रोडवेज चौकी इंचार्ज रहते हुवे कैंट स्टेशन से सेक्स रैकेट बंद करवा दिया वह भी खुल्लम खुल्ला हड़का कर कि उसके क्षेत्र में ऐसी हरकत हुई तो एकदम बर्दाश्त नही करेगे। उस दरमियान थोडा शब्दों को लेकर कुछ लोगो ने आपत्ति जताया और उसका वीडियो उन शब्दों का वायरल करना शुरू कर दिया। आखिर उसके लिए चौकी छुट गई, मगर काला कारोबार बंद भी हो गया।

दूसरा उदहारण नगर निगम चौकी का। नगर निगम चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह है। चौकी वीआईपी क्षेत्र की है और किसी की कुछ दाल नही गलती। ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ के तर्ज पर प्रकाश सिंह की गिनती तेज़ तर्रार दरोगाओ में होती है। ऐसे ही कई नाम थे जिनके ऊपर कोई दाग तो नही है। मगर लिस्ट है। कितनी वास्तविकता है उसकी क्या पता करना ऐसी एक ज़िम्मेदार इंसान की पहली पसंद नही होना चाहिए जो प्रशानिक कई ज़िम्मेदार पदों पर आसीन रह चुके है। कैसे बिना सत्यता जाने किसी कागज़ के टुकड़े अथवा व्हाट्सएप पर टाइप लिस्ट पर विश्वास किया जा सकता है ?

वैसे हमारी व्यक्तिगत सोच है कि ऐसी ज़िम्मेदार शख्सियत को इस प्रकार के लोगो के फैलाए भ्रम जाल में नही आना चाहिए। पहले किसी मुद्दे की वास्तविकता को समझ कर तब उस मुद्दे पर अपनी क्रिया प्रतिक्रिया देना चाहीये। हमको तो लगता है कि आईपीएस साहब के कोई इन्फर्मार खुद के अपने फायदे हेतु ‘फिरकी ले रहे है’। वैसे हम कछु न बोलेगे नही तो कही हमारे नाम से भी लिस्ट न वायरल हो जाए, कहा कहा सफाई देते फिरेगे।

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