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भूटान के किंग जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक दो दिवसीय दौरे पर पहुचे भारत, विदेश मंत्री एस0 जयशंकर ने किया अगवानी

आदिल अहमद

भूटान के किंग जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक दो दिवसीय दौरे पर कल भारत पहुचे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर उनकी आगवानी की। शाम को भूटान के किंग से मुलाक़ात के बाद जयशंकर ने कहा, ‘ये दौरा भारत और भूटान की अनोखी साझेदारी को और मजबूत करेगा।’

भूटान के पाँचवें किंग जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक सोमवार को नई दिल्ली पहुँचे हैं। भूटान के किंग को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्योता दिया था। किंग वांगचुक मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करेंगे। सबकी नज़र इस बात पर है कि किंग और पीएम मोदी के बीच चीन से लगी भूटान की सीमा क्या बात होती है।

गौरतलब हो कि भूटान भारत के लिए रणनीतिक महत्व वाला देश है और पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच रक्षा के मामले में काफ़ी नजदीकी आई है। हालांकि भूटान के प्रधानमंत्री लोटे छृंग के एक हालिया इंटरव्यू से विवाद खड़ा हो गया था जिसमें उन्होंने विदेशी अख़बार ‘ला लेब्रे’ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ‘चीन ने जो गाँव बनाए हैं, वे भूटान के भीतर नहीं हैं।’ हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि डोकलाम को लेकर भूटान के रुख़ में कोई परिवर्तन नहीं आया है। गौरतलब है कि 2017 में डोकलाम क्षेत्र में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद भारत के लिए भूटान की अहमियत और बढ़ गई है।

किंग वांगचुक से पीएम मोदी की मुलाक़ात पिछले साल सितंबर में हुई थी। तब भूटान के किंग ब्रिटेन की महारानी के निधन के बाद शोक संवेदना व्यक्त करने लंदन जा रहे थे। इसी दौरान किंग वांगचुक नई दिल्ली में रुके थे। भूटानी पीएम और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच फ़ोन पर बात होती रही है लेकिन दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता थिम्पू में अगस्त 2020 में हुई थी।

अक्टूबर 2021 में भूटान और चीन के बीच 3-स्टेप रोडमैप को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था। यह 3-स्टेप रोडमैप दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए है। दोनों देशों के बीच उत्तर और पश्चिमी भूटान में डोकलाम को लेकर विवाद है। डोकलाम भूटान, चीन और भारत के बीच ट्राइजंक्शन है। 2017 में यहाँ भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे। दोनों देशों के बीच 73 दिनों तक विवाद चला था।

इसी साल जनवरी महीने के दूसरे हफ़्ते में भूटानी और चीनी अधिकारी चीन के दक्षिणी-पश्चिमी शहर कुनमिंग में सीमा विवाद पर बातचीत के लिए मिले थे। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच थ्री स्टेप रोडमैप पर बात हुई थी। इस बैठक के बाद भूटान और चीन की ओर से संयुक्त बयान जारी किया गया था।

इस बयान में कहा गया था, ”दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद पर गंभीरता से बात हुई। इसके तहत थ्री स्टेप रोडमैप से जुड़े एमओयू को लागू करने पर भी बात हुई है। इस दौरान दोनों पक्ष सकारात्मक सहमति पर पहुँचे हैं। दोनों पक्ष थ्री स्टेप रोडमैप लागू करने पर सहमत हैं। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि दोनों देशों के बीच विशेषज्ञ समूहों के बीच बैठकें बढ़नी चाहिए। दोनों देशों के बीच 25वीं सीमा वार्ता पारस्परिक सहमति की तारीख़ पर होगी।”

पिछले महीने भूटान के प्रधानमंत्री लोटे छृंग ने बेल्जियम के अख़बार ला लेब्रे को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन सीमा पर जो गांव बनाए हैं, वे उनकी ज़मीन पर है न कि भूटान की ज़मीन पर। 2020 में ऐसी कई रिपोर्ट्स आई थीं, जिनमें बताया गया था कि भूटान के बॉर्डर के भीतर चीन गाँव बना रहा है। लेकिन अब ला लेब्रे को दिए इंटरव्यू में लोटे छृंग ने कहा है कि चीन ने जो गाँव बनाए हैं, वे भूटान के भीतर नहीं हैं। भूटान के प्रधानमंत्री ने हाल ही में बेल्जियम का दौरा किया था और उन्होंने वहीं यह इंटरव्यू दिया था।

फ्रेंच भाषा के अख़बार ला लेब्रे को दिए इंटरव्यू में भूटानी प्रधानमंत्री ने कहा है, ”हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है। यह एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है और मुझे पता है कि हमारा हिस्सा कहाँ तक है। भूटान में चीनी निर्माण को लेकर मीडिया में कई तरह की बातें कही जा रही हैं। हमें इससे कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह भूटान में नहीं है।”

भूटानी प्रधानमंत्री के इस दावे को कई विशेषज्ञ सच नहीं मान रहे हैं और उनका कहना है कि उन्होंने चीन के दबाव में ऐसा बयान दिया है। रॉबर्ट बर्नेट तिब्बती इतिहास के विद्वान हैं और वह किंग्स कॉलेज लंदन में लाउ चाइना इंस्टिट्यूट से जुड़े हैं। उनका कहना है कि चीन ने जो गाँव बनाए हैं, वे भूटान में उत्तरी, पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी सीमा के भीतर हैं। बेल्जियम के अख़बार को दिए इंटरव्यू में भूटानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि डोकलाम मुद्दा केवल उनका नहीं है बल्कि इसमें चीन और भारत भी जुड़े हैं। भूटानी पीएम के इस बयान की चर्चा भारत में ख़ूब हुई और कई विशेषज्ञों ने कहा कि यह बयान बताता है कि भूटान और चीन के बीच क़रीबी बढ़ रही है। हालांकि बाद में भूटानी प्रधानमंत्री का स्पष्टीकरण आया और कहा कि डोकलाम पर भूटान का पुराना रुख़ कायम है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है।

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