आदिल अहमद
डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी की आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। आबकारी निति मामले में मनीष सिसोदिया की ज़मानत पर आज दिल्ली की एक अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसला अदालत द्वारा 26 अप्रैल को सुनाया जायेगा।
राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज एमके नागपाल इस ज़मानत पर अपना फैसला 26 अप्रैल को शाम चार बजे सुनाएंगे। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की जानिब से पेश हुवे वकील जोहेब हुसैन को पहले सुना। जिसके बाद मनीष सिसोदिया के तरफ से पेश हुवे सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन और एडवोकेट मोहित माथुर की दलीलों को अदालत ने सुना। ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी। यह प्रस्तुत किया गया कि मंत्रियों के समूह की बैठकों के मिनिट्स ऑफ मीटिंग्स में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि नीति को इस तरह से बनाने की साजिश थी ताकि कुछ लोगों को अवैध लाभ सुनिश्चित किया जा सके। निजी संस्थाओं को थोक लाभ मार्जिन का 12% तय करने के लिए कोई सुझाव नहीं था।”
यह भी प्रस्तुत किया गया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों ने साजिश रची। उन्होंने आगे कहा कि विजय नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे थे। सबूत नष्ट करने पर ईडी ने कहा है कि सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए, जिनमें से केवल दो बरामद किए गए। यह भी कहा गया कि आप नेता ने सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल किया जो अन्य व्यक्तियों के नाम से खरीदे गए थे।
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