तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी नगर निगम खुद को कामयाब बता कर खुद ही अपनी पीठ थपथपाया करता है। थोडा बहुत कमी रहती है तो ‘पादुक़ा पूजक’ लोग जयकारा कह कर पूरी कर देते है। ‘साहब आप बेमिसाल है’ कहने वालो की कमी थोड़ी न है। वह वक्त कुछ और था जब अधिकारियो की सोच होती थी कि ‘निंदक नियरे राखिये’, अब तो सोच हो गई है कि ‘निदक को दुरे से भगाइए, ससुरा सच कह जाए’। सच कड़वा होता है इससे कोई इंकार नही कर सकता है।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि झाड़ू तो त्योहारों पर नही लगता है तो आम दिनों में कैसे लगेगा? खुद ही हम लोग अपने अपने घरो के आगे की गलियों को झाड़ू लगा कर साफ़ कर देते है। अब स्थिति आप समझ सकते होंगे कि कैसी होगी। एक जानकार जो इस मोहल्ले के नही है ने हमको एक शब्द बोला जो समझ में नहीं आया मुझे, हो सकता है कि सफाई के सुपरवाईज़र साहब समझा दे। उन्होंने कहा कि ‘दस्तूरी का फितूरी है, तीन के बजाये एक से काम इसीलिए मज़बूरी है।’ वैसे सुपरवाइजर साहब, गन्दगी से मोहल्ला बजबजा रहा है, तनिक सफाई करवा कर वो जो सफ़ेद सफ़ेद पाउडर होता है, वही जिसको डीडीटी आप लोग कहते है छिड़कवा दे, मोहल्ले वाले दुआ देंगे।
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