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ईडी ने जाँच में किया बड़ा खुलासा: हिडेनबर्ग की अडानी पर रिपोर्ट आने से पहले हो गया था शोर्ट सेलिंग करके बड़ा मुनाफा बुक करने का खेल

शफी उस्मानी/ईदुल अमीन

हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी ग्रुप से जुड़ी एक नई जानकारी सामने आई है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी शुरुआती जांच के बाद कहा है कि एक दर्जन कंपनियों ने अडानी ग्रुप के शेयर्स की शॉर्ट सेलिंग से ‘सबसे ज्यादा मुनाफा’ कमाया है। ED ने जुलाई 2023 में भारत के शेयर मार्केट रेगुलेटर, सेबी के साथ अपनी जांच के कुछ निष्कर्ष साझा किए थे।

आरोप है कि ये सब अडानी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के दौरान हुआ। सभी कंपनियां टैक्स हेवन कहे जाने वाले उन देशों से काम करती हैं जहां व्यापार करने पर निवेशकों, कंपनियों या विदेशी निवेशकों पर बहुत कम या जीरो इनकम टैक्स लगता है। इन कंपनियों में कुछ विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स और कुछ इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स भी हैं। ED के मुताबिक, इन कंपनियों ने हजारों करोड़ रुपये कमाकर विदेशों में बैठे ‘बड़े खिलाड़ियों’ को फायदा पहुंचाया है।

इंडियन एक्सप्रेस अपने सूत्रों के हवाले से लिखता है कि इन 12 कंपनियों में से 3 भारत की हैं। इन तीन में से एक विदेशी बैंक की भारतीय ब्रांच है। जबकि 4 कंपनियां मॉरीशस की हैं और एक-एक फ्रांस, हांगकांग, केमैन द्वीप, आयरलैंड और लंदन की कंपनियां हैं। इनमें से किसी भी कंपनी ने इनकम टैक्स ऑफिसर्स को अपने मालिकाना हक़ के बारे में जानकारी नहीं दी है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, जब इस साल 24 जनवरी को अडानी ग्रुप से जुड़ी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई, उसके 2-3 दिन पहले ही 12 कंपनियों में से कुछ ने पोजीशनिंग कर ली थी। आसान भाषा में शॉर्ट सेलिंग में पोजीशन लेने का मतलब है शेयर बेचना। माने लगभग आधा काम कर लेना। इसके अलावा कुछ और कंपनियां भी पहली बार शॉर्ट पोजीशन ले रही थीं।

बता दें कि घरेलू निवेशकों के अलावा SEBI के साथ रजिस्टर्ड FPIs और FIIs को भी डेरीवेटिव में ट्रेडिंग करने की अनुमति है। माने निवेशक घाटे के खतरे से बचने के लिए अपने निवेश की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं। हालांकि, SEBI इस पर नजर रखता है। बड़े पैमाने पर ऐसा करना कान खड़े करने वाला होता है। SEBI का मानना है कि प्रतिबंधों के चलते किसी शेयर प्राइस में नुकसान हो सकता है, प्रमोटर्स को कीमतों में हेर-फेर की अनुमति मिल सकती है और हेर-फेर करने वालों को मदद। इसलिए प्रतिबंध जरूरी हैं।

एक कंपनी जुलाई 2020 में आधिकारिक रूप से शुरू हुई। सितंबर 2021 तक कंपनी कोई बिज़नेस नहीं कर रही थी। और सितंबर 2021 से मार्च 2022 तक सिर्फ 6 महीने में इस कंपनी का कारोबार 31 हजार करोड़ रुपये का हो गया, जिससे कंपनी ने 1,100 करोड़ रुपये की कमाई की। इसी तरह एक और फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाले ग्रुप ने केवल 122 करोड़ रुपये कमाए। ये ग्रुप भारत में एक कंपनी की तरह काम करता है। जबकि एक और फॉरेन इन्वेस्टर कंपनी ने 9 हजार 700 करोड़ रुपये कमाए।

केमैन आइलैंड्स वाली इन्वेस्टर कंपनी, अडानी के शेयर्स की शॉर्ट सेलिंग से फायदा कमाने वाली 12 कंपनियों में से एक है। इस कंपनी का मालिकाना हक़ रखने वाली कंपनी को अंदरूनी शेयर ट्रेडिंग (इनसाइडर ट्रेडिंग) का दोषी पाया गया था। इसने अमेरिका में 14 हजार 880 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी दिया था। केमैन आइलैंड्स वाली कंपनी ने  20 जनवरी को अडानी ग्रुप के शेयर्स में शॉर्ट पोजिशन ली और 23 जनवरी को इसे और बढ़ा दिया। वहीं मॉरीशस वाली कंपनी ने पहली बार 10 जनवरी को शॉर्ट पोजिशन ली थी। ‘टॉप शॉर्ट सेलर्स’ में दो भारतीय कंपनियां हैं। इनमें से एक के प्रमोटर्स के खिलाफ SEBI ने इन्वेस्टर्स को गुमराह करने और शेयर बाजार में हेरफेर पर एक आदेश पास किया था। जबकि दूसरी कंपनी मुंबई में रजिस्टर्ड है।

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