ईदुल अमीन
डेस्क: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते वर्ष राज्य में नर्सिंग कॉलेजों के संचालन में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया था। अब सीबीआई ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को बताया है कि राज्य के नर्सिंग कॉलेजों में न तो छात्र हैं, न ही शिक्षक। कक्षाएं खस्ताहाल हैं और कुछ मामलों में शौचालय तक नहीं हैं। ऐसे ही और भी मुद्दे हैं, जिन्हें सीबीआई ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में उठाया है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसके बाद सीबीआई ने राज्य संचालित मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से संबद्ध 364 कॉलेजों की एक सूची तैयार की और पिछले साल 28 अप्रैल को 25 कॉलेजों पर एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि यह ‘गंभीर स्थिति है कि ऐसे कॉलेजों को भी संबद्धता दे दी गई है, जो आवश्यक नियमों के अनुरूप नहीं हैं।’
बताते चले कि 26 अप्रैल 2023 को जांच का आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि कुछ कॉलेजों को ‘अवैध तरीके’ से मान्यता दी गई है और यह ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पतालों में असंख्य रोगियों के जीवन को खतरे में डाल रहा है, ऐसे कॉलेजों के तथाकथित छात्रों के हाथों, जिनके पास योग्य नर्स का प्रमाण पत्र है।’ भारतीय नर्सिंग काउंसिल के मानकों के अनुसार, नर्सिंग कॉलेजों का क्षेत्रफल कम से कम 23,000 वर्ग फुट होना चाहिए और मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद (एमपीएनआरसी) की शर्तों के अनुसार यह कम से कम 17,000 वर्ग फुट होना चाहिए।
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