अनिल कुमार
पटना: बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के बाद राज्य में शिक्षा और नौकरी में आरक्षण कोटे को बढ़ाने का फ़ैसला किया था। बिहार विधानमंडल ने नवंबर 2023 में बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (एसी, एसटी और ओबीसी के लिए) अधिनियम, 1991 में संशोधन कर आरक्षण कोटे को बढ़ाकर 65 फ़ीसदी कर दिया था।
इसके बाद कई लोगों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिहार सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती दी थी। याचिका दायर करने वालों ने हाई कोर्ट में यह तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% की सीमा से अधिक आरक्षण बढ़ाना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 11 मार्च को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
गुरुवार को चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने बढ़े हुए आरक्षण कोटे को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
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