आफताब फारुकी
डेस्क: कर्नाटक का वाल्मीकि कॉर्पोरेशन स्कैम, ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों में ईडी जैसी एजेंसियों के इस्तेमाल को लेकर केंद्र के साथ तनाव का एक नया उदाहरण बन गया है। वाल्मीकि कॉर्पोरेशन स्कैम के मामले में अधिकारियों समेत कांग्रेस के दो विधायकों बी नागेंद्र और सांगौड़ा दद्दाल की संपत्तियों पर ईडी की छापेमारी को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने ‘अनुचित’ बताया है।
शिवकुमार ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पहले ही ‘विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है। ईडी के छापों की कोई ज़रूरत नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि एसआईटी को पहले ही पता चला है कि न तो नागेंद्र और ना ही दद्दाल इस घोटाले में शामिल हैं। यह घोटाला तब प्रकाश में आया जब कॉर्पोरेशन के अकाउंटेंट सुप्रिटेंडेंट ने 26 मई को आत्महत्या कर ली थी।
उन्होंने एक लंबे सुसाइड नोट में बेंगलुरु और तेलंगाना की कई कंपनियों में 88.62 करोड़ रुपये के ग़ैरक़ानूनी ट्रांसफ़र के बारे में लिखा था। ये पैसे यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के खाते से ट्रांसफ़र किए गए थे। बैंक की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के बाद सीबीआई इस मामले में सक्रिय हुई थी।
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