आफताब फारुकी
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फ़ैसला देते हुए कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 125 के तहत मुस्लिम महिला गुज़ारा भत्ता की मांग कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फ़ैसला देते हुए कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की सेक्शन 125 के तहत मुस्लिम महिला गुज़ारा भत्ता की मांग कर सकती है।
दोनों जजों ने एकमत से यह फ़ैसला दिया है। अभी आदेश लिखा जाना बाक़ी है। ग़ौरतलब है कि 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेक्शन 125 एक सेक्युलर क़ानून है जो सभी महिलाओं पर लागू होता है। जिसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद 1986 में सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक़ मामले में अधिकारों का संरक्षण) क़ानून पास किया था।
आज आये फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, ‘शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1985 में जो फ़ैसला सुनाया था। उसके ख़िलाफ़ पर्सनल बोर्ड ने आंदोलन चलाया। इसके बाद एक क़ानून वजूद में आया। उस क़ानून की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट करता है। उस वक्त ही सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया था। जो लोग धारा 125 के तहत राहत चाहेंगे उनको राहत दी जाएगी। इसमें मुस्लिम समुदाय भी शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय की ये मान्यता रही है कि जो महिलाओं के अधिकार के लिए धार्मिक गारंटी है वो पर्याप्त नहीं है।’
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