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दिल्ली आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ईडी और सीबीआई की जाँच के निष्पक्षता पर सवाल

ईदुल अमीन

डेस्क: दिल्ली आबकारी नीति मामले में के कविता को ज़मानत देने के दरमियान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई और ईडी को जमकर फटकार लगाई और उनकी जांच की ‘निष्पक्षता’ पर सवाल उठाए है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के मध्य से जेल में बंद बीआरएस नेता के0 कविता को जमानत देने के तुरंत बाद कोर्ट ने एक गवाह पर आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए।’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक गवाह के बयान का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, ‘आप किसी को भी चुनेंगे?’ पीठ ने गवाहों पर सवाल उठाया कि कविता की ओर से कथित रूप से 25 करोड़ रुपये प्राप्त करने वाले ऑडिटर बुची बाबू को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया, जबकि ईडी ने स्वीकार किया था कि उसने पैसे लिए थे। न्यायालय ने यह भी कहा कि शराब व्यवसायी मगुंटा रेड्डी की भूमिका भी कविता जैसी ही थी, लेकिन उसे आरोपी नहीं बल्कि गवाह बनाया गया। रेड्डी के बेटे को आरोपी बनाया गया था, लेकिन उसे माफ़ी दी गई और मामले में सरकारी गवाह बना दिया गया।

अदालत ने एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा, ‘अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए। एक व्यक्ति जो खुद को दोषी ठहराता है, उसे गवाह बना दिया गया है। कल आप अपनी मर्जी से किसी को भी चुन सकते हैं और अपनी मर्जी से किसी को भी छोड़ सकते हैं? आप किसी भी आरोपी को चुनकर नहीं रख सकते। यह कैसी निष्पक्षता है? यह स्थिति देखकर दुख होता है।’ अदालत ने कहा, ‘अगर उनकी कोई भूमिका है, तो उनकी भूमिका कविता के बराबर ही है।’

जब सीबीआई और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कुछ गवाहों का हवाला दिया, जिन्होंने कथित घोटाले में बीआरएस नेता की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तो अदालत ने उनसे कहा कि वह जांच एजेंसियों की निष्पक्षता के बारे में टिप्पणी करने के लिए बाध्य होगी। अदालत ने कहा, ‘यदि आप वे टिप्पणियां चाहते हैं, तो आप और बहस करें।’

इससे पहले, कविता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। हालांकि, एजेंसी के वकील ने दावा किया कि उन्होंने अपना मोबाइल फोन नष्ट कर दिया था, जो सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के समान है। रोहतगी ने आरोप को फर्जी बताया। उन्होंने दावा किया कि नेता ने अपने पुराने फोन अपने कर्मचारियों को दे दिए थे और उन्होंने नए डिवाइस अपग्रेड लिए थे।

मालूम हो कि तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के। चंद्रशेखर राव की बेटी कविता, जिन्हें 15 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह के बाद जेल से बाहर आने वाली तीसरी हाई प्रोफाइल आरोपी हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने सिसोदिया के मामले में जिस सिद्धांत को अपनाया था यहां भी उसी को लागू किया कि मुकदमे में देरी और लंबी कैद मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत के लिए आधार हो सकती है।

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