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बिग ब्रेकिंग: सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर के मदरसों को बंद करने के सिफारिशों को किया खारिज, चालु रहेगे मदरसे और उनको मिलने वाली वित्तीय सहायता, जमियत-उल-ओलमा-ए-हिन्द की याचिका पर अदालत ने दिया हुक्म

निलोफर बानो

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में आज मदरसों के मुताल्लिक जारी सुनवाई के दरमियान एक बड़ी राहत भरी खबर मदरसों और उससे जुड़े छात्रो के लिए निकल कर सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर की सिफ़ारिशो पर रोक लगा दिया है। इसके साथ ही अब मदरसों को मिलने वाली वित्तीय सहायता जारी रहेगी और साथ ही मदरसे भी बंद नही होंगे।

बताते चले कि एनसीपीसीआर ने शिक्षा के अधिकार कानून का पालन न करने पर सरकारी वित्त पोषित और सहायता प्राप्त मदरसों की धनराशि रोकने की सिफारिश की थी। साथ ही आयोग ने यह भी कहा था कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आज इन सिफारिशों को खारिज कर दिया है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीपीसीआर के आदेशों पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आयोग की सिफारिशें और कुछ राज्यों की कार्रवाई धार्मिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

आज आये फैसले पर मुस्लिम समाज में ख़ुशी की लहर दिखाई दे रही है। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसजिद कमिटी के संयुक्त सचिव एसएम् यासीन ने फैसले का इस्तकबाल करते हुवे कहा है कि इससे मुस्लिम समाज के बच्चो का मुस्तकबिल जो अभी तक अँधेरे में जा रहा था दुबारा रोशन हुआ है। अल्लाह का शुक्र है।

ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के जनरल सेक्रेटरी वाहिदुल्ला खान सइदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह मदरसों के लिए एक बड़ी जीत है। मदरसा शिक्षा व्यवस्था आरटीई एक्ट के दायरे में नहीं आती। एनसीपीसीआर को ऐसे संस्थानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सइदी ने आयोग की उस सिफारिश की भी आलोचना की जिसमें मदरसों से गैर-मुस्लिम बच्चों को निकालने की बात कही गई थी।

मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर की सिफारिशें धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ थीं। शैक्षिक संस्थानों में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। मदरसे हर धर्म के छात्रों के लिए खुले हैं। किसी को शिक्षा प्राप्त करने से रोका नहीं जा सकता।

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