तारिक आज़मी
डेस्क: आम आदमी के लिए नियम हर कोई सख्त होता है। नियमो के लिए आम इंसान को जुतिया घिस जाती है अपने अधिकारों को पाने के लिए। मगर यही नियम अगर बाबा राम रहीम की बात करे तो ताखो पर आराम करता हुआ दिखाई दे रहा है। बाबा राम रहीम को एक बार फिर से 20 दिनों की पेरोल स्वीकृत हुई है और तमाम शरयातो के साथ विधान सभा चुनावों में मतदान के कुछ दिन पहले ही वह जेल से बाहर आ गये है।
अभी पिछले 13 अगस्त को ही 21 दिनों की छुट्टी मनाने एक जमाने के रॉक स्टार बाबा जो लव चार्जर भी थे, जेल यानी ससुराल से बाहर आए। 21 दिनों तक धूम धाम से अपना बर्थ डे मनाया। आजादी के सारे मजे लूटे। फिर 3 सितंबर को अगली बार बाहर आने के लिए वापस जेल पहुंच गए। इस बार अंदर मन नहीं लग रहा था। इसलिए जेल में बैठे-बैठे फिर से छुट्टी की अर्जी लगा दी। कमाल तो जेल के बाहर बैठा कानून है। जो बस रॉक स्टार की छुट्टी की अर्जी का लिफाफा देख कर ही छुट्टी मंजूर कर लेता है। अंदर का मजमून पढ़ने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
जी हां, महज 3 हफ्ते के अंदर-अंदर एक बार फिर से लव चार्जर चार्ज होने ससुराल से बाहर आ रहे हैं। अब तो इत्तेफाक पर भी शक होने लगा है। पर इत्तेफाक ये है कि हरियाणा में फिर से चुनाव है। बाबा के नाम पर कलंक इस राम रहीम को दो लड़कियों का बलात्कार और एक पत्रकार के कत्ल के इल्जाम में सितंबर 2017 में 20-20 साल की दो दो उम्रकैद की सजा हुई। यानी अभी इसे जेल गए सात साल भी पूरे नहीं हुए हैं।
कायदे से देखें तो 20-20 साल की दो दो उम्रकैद की सजा पाने वाला गुरमीत राम रहीम पिछले सात सालों में ही 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर आजादी के मजे ले चुका है। NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के मुताबिक इस वक्त पूरे देश में लगभग छह लाख कैदी अलग-अलग जेलों में बंद हैं। इन छह लाख में से लगभग पौने दो लाख ऐसे कैदी हैं जो सजायाफ्ता हैं यानी जिनके गुनाहों का हिसाब हो चुका है और उन्हें सजा सुनाई जा चुकी है।
दावा है कि पूरे देश की जेलों में घूम आइये, और बस एक ऐसा कैदी दिखा दीजिए जो पिछले सात सालों में 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर जेल से बाहर भेजा गया हो। शर्तिया गुरमीत राम रहीम के अलावा दूसरा नाम ढूंढ़ने से आपको नहीं मिलेगा।
हरियाणा में बाबा के आशीर्वाद का सबसे ज्यादा असर है। तो चुनावी तैयारी से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए बाबा को जेल से बाहर निकालना जरूरी तो था ही। वैसे कमाल ये भी है कि इस बार ऐन गुरमीत राम रहीम के जन्म दिन से पहले फरलो पर रिहाई का फैसला उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिया है जिसने कुछ वक्त पहले राम रहीम को बार बार लगातार 50 -50 दिन की पेरोल या फरलो दिए जाने पर राज्य सरकार की क्लास लगा दी थी। और तभी अदालत ने ये फैसला भी सुना दिया था कि आइंदा जब भी राम रहीम को बाहर जाना होगा तो राज्य सरकार पहले उससे इजाजत लेगी।
तो गुरमीत राम रहीम और हरियाणा सरकार इस बार उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुँच गई। एक नई रिहाई का परवाना मांगने। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी पिछली बातें भूल गई और गुरमीत राम रहीम से कहा कि जा 13 अगस्त से अगले 21 दिन तक जी ले अपनी जिंदगी। उतार दे कैदी के कपड़े, फिर से पहन ले अपनी वही ठगी वाली पोशाक और अपनी फितरत के मुताबिक बाहर जाकर सोशल मीडिया के जरिए फिर से अपने ज्ञान प्रवचन दे डाल।
अब कहानी के इस नए ट्विस्ट को समझिए। बाबा ने इस बार फिर से 20 दिन की पेरोल मांगी थी। असल में हरियाणा जेल मैनुअल के हिसाब से हर कैदी को साल में 70 दिन की पेरोल मिल सकती है। बाबा इस साल अब तक 50 दिन की पेरोल के मजे लूट चुके हैं। ऐसे में अभी उनके हिस्से के 20 दिन और बचे हैं। ऐसे में अब जब बाबा ने फिर से पेरोल की अर्जी दी, तो चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से राज्य सरकार ने उसकी अर्जी को मुख्य चुनाव अधिकारी यानी सीईओ को भेज दिया। सीईओ ने उसके पेरोल के नियम और अब तक मिले पेरोल की जानकारी मांगी और फिर कुछ शर्तों के साथ उसे एक बार फिर से पेरोल पर आज़ाद करने का फरमान सुना दिया।
इन शर्तों के मुताबिक, बाबा ना तो खुले तौर पर और ना ही सोशल मीडिया के ज़रिए किसी चुनाव प्रचार में शामिल हो सकता है। यानी बाबा को पेरोल तो मिली है, लेकिन कहने को चुनाव से दूर रहेंगे, लेकिन सोशल मीडिया के इस ज़माने में बाबा को अपना ईशारा अपने भक्तों तक पहुंचाने में कितनी मुश्किल होगी और कितनी नहीं, ये कोई भी आसानी से समझ सकता है।
नतीजा ये कि जहां गुरमीत राम रहीम सात साल में ही 13 किश्तों में 255 दिनों से ज्यादा पेरोल और फरलो पर आजादी काट चुका वहीं गुरमीत राम रहीम से कहीं ज्यादा बुजुर्ग और कहीं ज्यादा बीमार आसाराम 11 सालों की कैद के बाद पहली बार अगस्त के महीने में ही सात दिनों के लिए पेरोल मिली थी। वो भी इलाज के नाम पर ये और बात है कि ये पेरोल बाद में सात और दिनों के लिए बढ़ा दी गई, लेकिन अब आसाराम 14 दिन की कस्टडी पेरोल के बाद एक बार फिर से अंदर जा चुका है। यानी कायदे से फिर देश के बाकी कैदियों से राम रहीम की तुलना ही बेइमानी है।
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