ईदुल अमीन
डेस्क: वफ़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में शामिल विपक्षी सांसदों ने सोमवार (25 नवंबर) को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर इस समिति का कार्यकाल आगे बढ़ाने का आग्रह किया। जबकि सियासी गलियारे में चलती बातो को माने तो समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने 5 दिसंबर तक रिपोर्ट जमा करने का कार्यक्रम बना रखा है।
सदस्यों ने लिखा है कि बिहार, नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने अभी तक समिति के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत नहीं किए हैं और विभिन्न हितधारक अब भी अपने विचार रखने के लिए समय मांग रहे हैं। पत्र में आगे कहा गया है, ‘यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वफ़्फ़ संशोधन विधेयक एक व्यापक कानून है, जिसमें मौजूदा कानून में कई बड़े बदलाव शामिल हैं। इन बदलावों का असर भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से पर पड़ेगा। इसलिए, रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले केवल तीन महीने का समय न केवल अपर्याप्त है बल्कि इसके फलस्वरूप अनुचित सिफारिशें हो सकती हैं। उचित परामर्श और विचार-विमर्श के लिए समिति का कार्यकाल उचित समय तक बढ़ाया जाना चाहिए।’
विपक्षी सदस्यों का ये भी कहना है कि यदि लोगों को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर दिए बिना विधेयकों पर चर्चा की जाती है, तो इससे विधायी प्रक्रिया की वैधता प्रभावित होगी और दुर्भाग्य से इसका संसद की गरिमा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने 08 अगस्त को लोकसभा में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 को पेश किया था। हालांकि, विपक्षी सांसदों के विरोध के चलते इस विधेयक को संयुक्त समिति को भेज दिया गया। इस समिति ने 22 अगस्त को पहली बैठक की थी। इस समिति को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी।
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