तारिक खान
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की पीठ विदेशी नागरिकों के निर्वासन और असम के हिरासत शिविरों में उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुवे बुधवार को असम सरकार को देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर- मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशी नागरिक को हिरासत में लेने का कारण न बताने को लेकर फटकार लगाई है। साथ ही मुख्य सचिव को सुनवाई की अगली तारीख पर वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने पूछा कि निर्वासन प्रक्रिया शुरू किए बिना उन्हें लगातार हिरासत में क्यों रखा जा रहा है। असम सरकार के वकील के इस जवाब से अदालत ने नाराजगी व्यक्त की जहां उन्होंने कहा कि हलफनामा गोपनीय है और सीलबंद रहना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि राज्य इस बारे में स्पष्टता नहीं चाहता। हमें बताया जाए कि हलफनामे में क्या गोपनीय है।’ इस पर सरकारी वकील ने कहा कि हलफनामे में विदेशी नागरिकों का पता दर्ज है, और यह विवरण मीडिया के पास जा सकता हैं।
पीठ ने कहा, ‘असम सरकार के वकील का कहना है कि दायर हलफनामे को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसकी सामग्री गोपनीय है। हालांकि हम निर्देश दे रहे हैं कि इसे सीलबंद लिफाफे में ही रखा जाए, लेकिन प्रथमदृष्टया हम वकील से असहमत हैं कि सामग्री के बारे में कुछ गोपनीय है।’ शीर्ष अदालत ने असम राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को मटिया शिविर में उपलब्ध सुविधाओं, स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता की जांच करने के लिए आकस्मिक निरीक्षण करने का निर्देश दिया था।
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