लाल घेरे में दुलहीपुर का निवासी 'भैया', घटना में प्रयुक्त बाइक सराय फाटक निवासी आरिफ की बताया जा रहा है बाइक अभी तक बरामद नहीं कर पाई है आदमपुर पुलिस
तारिक आज़मी
वाराणसी: कहा जाता है कि रस्सी जल जाती है, मगर ऐठन नहीं जाती है। ऐसा ही कुछ दालमंडी के साथ है। रस्सियाँ तो जल चुकी है। कारोबार ठप पड़ने लगा है। घर के बाहर बहता हुआ पनारा साफ़ करवा सकने की पकड़ नहीं रखते है। मगर गुंडागर्दी ऐसा लगता है जैसे उनका दालमंडी सिद्ध अधिकार हो। शायद ऐसे लोगो के लिए ही कहावत है कि ‘तन पर नहीं लत्ता, गुंडई का शौक है अलबत्ता।’ ऐसे गुंडई को आदमपुर पुलिस की कार्यवाही तब और मनोबल बढ़ा गई जब गंभीर रूप से घायल युवक का मामला मारपीट की हल्की धाराओं में दर्ज कर इस्पेक्टर आदमपुर ने औपचारिकता पूरी कर लिया।
इस हमले में तौफीक आलम बुरी तरह घायल हो गया। मौके पर मौजूद इलाके के लोगो ने किसी प्रकार तौफीक को बचाया, गंभीर रूप से घायल तौसीफ को मंडलीय चिकित्सालय ले जाया गया, जहा उसके सिर पर 12 टाँके लगे। चिकित्सको ने औपचारिक रूप से बातचीत में हमसे इस बात की पुष्टि किया था कि सभी घाव गंभीर श्रेणी के है और लोहे के किसी भारी वस्तु की चोट है। तौसीफ को लगी चोट इतनी गंभीर थी कि डाक्टरों ने ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया। मगर आदमपुर इस्पेक्टर ने इस गंभीर मामले में मारपीट की हल्की धाराओं में मामला दर्ज करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर डाला। वही मामले के विवेचक विकास मिश्रा ने अपराध की गंभीरता देखते हुवे आरोपियों की धर-पकड़ हेतु कई जगहों पर छापेमारी किया।
हमलावर दालमंडी के शातिर थे तो शातिराना तरीके से अपनी बाइक से विभिन्न मार्गो से होते हुवे भाग गए थे। छापेमारी में वह पुलिस के हत्थे तो नही पड़े मगर एक मार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उनकी भागते समय तस्वीर कैद हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों इस घटना से दबंगों से कितना भयभीत होंगे कि मामले में कोई भी अपनी गोपनीयता को बरक़रार रखने की बात बार बार कहते हुवे हमको बताया कि तस्वीर में कैद भागते हुवे एक बाइक से तीन युवको में बाइक चला रहा युवक क्रूरता से हमला कर रहा था और पञ्च (लोहे में छेद करने वाला लोहे से निर्मित एक भारी औज़ार, जिससे किसी की जान भी जा सकती है) से वही हमला कर रहा था।
हमने तस्वीरो के आधार पर अपने सूत्रों से जानकारी इकठ्ठा किया तो जानकारी निकल कर सामने आई कि वह युवक दुलहीपुर का मूल निवासी है और इसका नाम सिराज उर्फ़ भैया है। सूत्रों की माने तो मनबढ़ सिराज अक्सर दबंगई दिखाया करता है। घटना में प्रयुक्त बाइक औरंगाबाद स्थित सराय के निवासी आरिफ की है। वही पुलिस सूत्रों के अनुसार बाइक स्वामी ने अपना पल्ला पूरी घटना से झाड़ते हुवे पुलिस को बताया है कि बाइक उसने अपने एक दोस्त को बेच दिया था और उसके दोस्त ने वह बाइक अपने साले सेराज उर्फ़ भैया को उधार के तौर पर दिया था। मिल रही जानकारी के अनुसार बाइक औरंगाबाद सराय फाटक स्थित सिराज के जीजा के आवास पर देखी गई है। मगर पुलिस घटना में प्रयुक्त हमला करने का औज़ार और प्रयुक्त बाइक बरामद करने में असफल रही है।
वही कचहरी परिसर में स्थित हमारे सहयोगियों से मिली जानकारी के अनुसार नामज़द आरोपियों ने अदालत से राहत पाने की तहरीर दिया है साथ ही मिल है अपुष्ट जानकारी के अनुसार अदालत से उन समस्त नामज़द दबंगो को राहत मिल भी गई है। बात तो ये है कि जब इस्पेक्टर साहब इतने गंभीर रूप से घायल युवक की शिकायत मारपीट जैसे हल्की धाराओं से दर्ज करेगे तो राहत तो मिल ही जायेगी। ये तो मामले में विवेचक एसआई विकास मिश्रा मामले की गंभीरता को समझते हुवे आरोपियों पर ज़बरदस्त दबाव बनाये हुवे थे, अन्यथा जिस प्रकार के हालात थे ये दालमंडी के दबंग घटना के बाद इलाके में आराम से घूमते फिरते रहते।
बात पते की तो बस ये है कि आदमपुर इस्पेक्टर अगर मामले को पहले मिनट से ही गंभीर रूप से लेते और तो आरोपी हमलावरों की हिम्मत अगला कोई अपराध करने से पहले टूट जाती। मगर जब इतनी आराम से अपराध कारित करके निकल जाए और कानून के हत्थे चढ़ने से बच जायेगे तो ऐसे दबंगो का मनोबल बढेगा ही। जो शायद बढ़ता हुवा तो फिलहाल दिखाई दे रहा है। जिसके नाम से घटना में प्रयुक्त हुई बाइक है वह बाइक पुलिस को बरामद न करवा कर पुलिस को आश्वासन दे रहा है।
दुलहीपुर से आकर सिराज उर्फ़ भैया किसी को इतना मारता है कि वह मरणासन्न हो जाता है तो मनोबल बढेगा ही इस्पेक्टर साहब। ऐसे ही मनबढ़ होते है और बाद में यही पुलिस के लिए सरदर्द बन जाते है। ऐसे ही शायद मनोबल बढ़ा था आपके थाने के टॉप मोस्ट वांटेड ‘जावेद खान’ का जिसको इनामिया होने के बाद भी 16 साल से आज तक आपकी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई। क्योकि जब पहले बार दुर्दांत अपराधी बंटी अफरोज के इस साथी पर कार्यवाही कड़ी हुई होती तो आज शायद आदमपुर थाने में 64/2000 अपराध संघ्या दर्ज न हुई होती। वह भी तो ऐसे ही पड़ाव से आकर आदमपुर में दबंगई करता था। आज 16 साल से अधिक वक्त गुज़र गया आपकी पुलिस उसको ईनाम होने के बावजूद भी पकड़ नही पाई है।
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