सबा अंसारी
डेस्क: राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार (29 जनवरी) को राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य किया जाए। स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते में यह बताया जाना चाहिए कि वे रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चों की देखभाल कैसे करेंगे, साथ ही अगर महिला साथी कमाई नहीं कर रही है तो पुरुष साथी वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना बना रहा है।
न्यायाधीश के हवाले से कहा गया, ‘ऐसे संबंधों से पैदा हुए नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण उनके माता-पिता और विशेष रूप से पिता द्वारा किया जाना अपेक्षित है, क्योंकि ऐसे संबंधों से उत्पन्न महिलाएं भी अक्सर पीड़ित पाई जाती हैं।’ उच्च न्यायालय ने कहा कि कई लिव-इन जोड़े अपने परिवारों और समाज से स्वीकृति न मिलने के कारण न्यायपालिका का रुख करते हैं। इस पर ध्यान देने के लिए न्यायालय ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को लिव-इन संबंधों को विनियमित करने के लिए कानून बनाना चाहिए।
दिलचस्प बात यह है कि न्यायाधीश ने बताया कि उत्तराखंड ने पहले ही अपने यूसीसी के हिस्से के रूप में लिव-इन संबंधों पर नियम जारी कर दिए हैं और अन्य राज्यों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया है। राज्य सरकार को 1 मार्च तक अदालत में अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इस रिपोर्ट में पंजीकरण प्राधिकरण की स्थापना और लिव-इन रिश्तों को नियंत्रित करने के लिए कानून का मसौदा तैयार करने सहित अदालत के निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण होना चाहिए।
मो0 कुमेल डेस्क: डीएमके पार्टी की सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री पर तमिलनाडु…
फारुख हुसैन डेस्क: अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो मंगलवार को सऊदी अरब पहुंचने वाले…
तारिक आज़मी डेस्क: पिछले कुछ दिनों से अमेरिकन राष्ट्र्पति के फैसलों पर सवाल उठने लगे…
आफताब फारुकी डेस्क: दिल्ली पुलिस ने सट्टेबाजी गैंग का भंडाफोड़ करते हुवे गिरोह के सरगना…
आदिल अहमद डेस्क: चीन ने अपने रक्षा बजट में सात फ़ीसदी से अधिक की बढ़ोतरी…
तारिक खान डेस्क: उत्तर प्रदेश में संभल के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सर्कल अफ़सर) अनुज चौधरी के…