फारुख हुसैन
डेस्क: राहुल गांधी की याचिका जिसमे उन्होंने अदालत से मांग किया है कि उनके द्वारा सावरकर पर की गई टिप्पणी के समर्थन में उन्हें एतिहासिक साक्ष्य और डिटेल देने की अनुमति दिया जाए और इसकी सुनवाई समरी ट्रायल की तरह हो न कि समन ट्रायल की तरह पर सावरकर के परपोते सत्याकी सावरकर ने आपत्ति जताया है। बताते चले कि सावरकर पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ख़िलाफ़ सत्याकी सावरकर शिकायतकर्ता भी हैं; अब इन्होंने राहुल गांधी की एक याचिका पर आपत्ति जताई है।
यह मामला तब उपजा जब मार्च, 2023 में लंदन में राहुल गांधी के एक कथित ‘विवादास्पद भाषण’ दिया था। इस भाषण में उन्होंने कथित तौर पर सावरकर के कामों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी किया था। दरअसल, राहुल गांधी ने कथित तौर पर एक किताब का ज़िक्र किया। इस ‘किताब’ का हवाला देते हुए राहुल ने कहा था कि ‘सावरकर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटा और उस दिन उन्हें बहुत खुशी हुई।’
इसी को लेकर सत्याकी सावरकर ने 2023 में मानहानि की शिकायत दायर की। इसमें राहुल गांधी के दावे का खंडन किया गया और कहा गया कि सावरकर से जुड़ी ऐसी किसी घटना का उल्लेख उनके कामों में नहीं है लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक़, राहुल गांधी ने 18 फ़रवरी को वकील मिलिंद पवार के ज़रिए एक आवेदन दायर किया था। इसी में उन्होंने सुनवाई को समरी ट्रायल की जगह समन ट्रायल में बदलने की मांग की है। लेकिन सत्याकि सावरकर ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने 25 फ़रवरी को वकील एस0ए0 कोल्हटकर के ज़रिए अपना जवाबी हलफनामा दायर किया है।
पुणे के एक स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में स्पेशल जज अमोल शिंदे के सामने राहुल गांधी की अर्जी पर ये जवाब दिया गया है। इसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विनायक दामोदर सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर, अदालत का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। बार एंड बेंच की ख़बर के मुताबिक़, हलफनामें में कहा गया ‘आरोपी ने कुछ ऐतिहासिक फ़ैक्ट्स के बारे में मुद्दे उठाए हैं, जो इस मामले के मूल विषय से अप्रासंगिक हैं।’
दरअसल, राहुल गांधी ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस केस में सत्य और क़ानून के कुछ पेचीदा सवाल शामिल हैं। लेकिन सत्याकी अशोक सावरकर ने अपने हलफनामे में गांधी के इस दावे को खारिज कर दिया गया है। सत्याकी ने ये भी दावा किया कि इस तरह का तर्क निराधार है। सत्याकी का कहना है कि आरोपी ये निर्देश नहीं दे सकता कि कोर्ट को किस तरह से मुकदमा चलाना चाहिए। ऐसे में मामले को बिना किसी देरी के तुरंत आगे बढ़ने दिया जाना चाहिए। इस तरह के तर्क मुकदमे में देरी करने की एक रणनीति मात्र हैं। हलफनामे में सत्याकी सावरकर के वकील ने मांग की है कि कोर्ट मुकदमे की प्रकृति बदलने के गांधी के आवेदन को खारिज कर दे। साथ ही, मामले को आगे बढ़ने दिया जाए। इस मामले में की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।
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