Varanasi

काशी के दाग, सराय एक्ट में रजिस्ट्रेशन और स्टार रेटेड होटल का दाम: होटल और गेस्ट हाउस में मची श्रद्धालुओ से लुट, जमकर हो रही दुने तिगुने दामो पर कमरों की बुकिंग, कई के पास तो फायर एनओसी भी नहीं…….!

तारिक आज़मी

वाराणसी: प्रयागराज में चल रहे कुम्भ में आये श्रद्धालुओ के पलट प्रवाह से काशी इस वक्त गुलज़ार है। सडको पर श्रद्धालुओ की भीड़ आस्था का सैलाब बन कर उभरी है। इस दरमियान पुरे शहर बनारस का हर एक इलाका श्रद्धालुओ से भरा पड़ा है। सेवा भाव रखने वाले काशी में कुछ मुनाफाखोरी ने मुनाफे के नाम पर लूट खसोट मचा रखा है। ई-रिक्शा और रिक्शा चालको ने जहाँ दाम मन माना कर रखा है। तो वही होटल और लाज वालो ने मुनाफाखोरी में सभी रिकार्ड ध्वस्त कर रखे है।

ख़ास तौर पर इस मुनाफाखोरी में विश्वनाथ कारिडोर के आसपास स्थित इलाको दशाश्वमेघ, लक्सा, चौक, नई सड़क आदि इलाके में कुकुरमुत्ते की तरह से उपजे लाज और गेस्ट हाउस ने कीर्तिमान बनाने का मंसूबा बना रखा है। इस वक्त गेस्ट हाउस ने अपनी कीमत एक एसी रूम जिसकी अमूमन कीमत 1200 से लेकर 1500 तक होती है, उन कमरों का भाड़ा एक रात का ही 4000-8000 तक वसूला जा रहा है। मगर भीड़ नियंत्रण में लगा प्रशासनिक अमला इसके ऊपर ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि अग्निशमन विभाग ने आँखे अपनी बंद कर रखा है। सराय एक्ट में चल रहे अधिकतम गेस्ट हाउस और लॉज के पास अग्निशमन विभाग की एनओसी तक नही है।

अमूमन किसी ढंग के होटल में एक दिन का डबल बेड वातानुकूलित कमरों का भाड़ा 1500 से लेकर 2000 तक होता है। 3000 के करीब के किराए में आपको स्टार रेटेड होटल मिल सकते है। मगर अपना काशी भी गजब का है। मौका मिलने पर “लूट सको तो लूट लो” के तर्ज पर जमकर इस वक्त होटलों में श्रद्धालुओं से “मनमाना घर जाना” के तरह से जमकर पैसे वसूले जा रहें। मुनाफाखोरी इस वक्त ऐसे लोगो के लिए हरामखोरी के तौर पर दिखाई दे रही है। वजह ये है कि हालात ऐसे है कि कोई अधिकारी खाली नहीं है। इसका फायदा उठाने वालों ने जमकर फायदा उठाया और उठा रहे है।

गेस्ट हाउस और होटल रेवड़ी की तरह खुल चुके है और नियमों के विरुद्ध महज सराय एक्ट में पूरा होटल चल रहा हैं। नाम गेस्ट हाउस कर देना और फायर exit से लेकर अन्य नियमों को ताख पर रखकर मोटी कमाई जारी है। श्रद्धालुओ को इस वक्त एक रात रुकने का चार्ज 3500 से लेकर 4000 ऐसे लिया जा रहा है जैसे लूट मची हो और लूट लो। सकरी गलियों में स्थित गेस्ट हाउस के कमरे बने तो खूबसूरत है मगर श्रद्धालुओं से कीमतों की लूट भी बहुत जबरदस्त हैं। ये भाड़ा महज़ रात गुज़ारने का लिया जा रहा है। श्रद्धालु जो दर्शन करने के लिए आये है, वह किसी शिकायत और कार्यवाही करवाने की कोशिश भी नहीं करते तो इनके हौसले बुलंद है।

हाल गेस्ट हाउस की हाल ये है कि सकरी गलियों में बिना वीडीए के वैध अनुमति के निर्मित इन 5 मंजिल इमारतों को तामीर होने से लेकर फिनिश होने तक वीडीए का भ्रष्टाचार ज़िम्मेदार है, और इसके बाद फिर अग्निशमन विभाग आँख बंद करने के लिए मशहूर है। किसी घटना दुर्घटना के बाद अग्निशमन विभाग कार्यवाही करने के लिए तत्पर दिखाई देता है। अब इतना कुछ एक साथ मैनेज करने के बाद इस आस्था के सैलाब में मुनाफाखोरी हरामखोरी के हद को पार करे तो फिर ताज्जुब किस बात का है? भाई कारोबार है, कभी कभी तो मौका मिलता है, तो मौके को भुना रहे है। मगर ये तमाम व्यापारी एक बात भूल रहे है कि आस्था के साथ हमारी काशी में आये लोग खर्च करने ही आये है, तो पैसे उतना ही ले, जितना वाजिब हो।

वैसे खबरों में आने के बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी और दर्शन के नाम पर पैसो की उगाही करने वालो पर लगाम लगा दिया था। अब देखना होगा कि आराम के नाम पर ये मुनाफाखोरी की चल रही दुकाने कब प्रशासन के नज़र में आती है? कब आखिर काशी को बदनाम करते ये गेस्ट हाउस और लाज वालो पर सख्त कार्यवाही होगी? आखिर कब जागेगा अग्निशमन विभाग और सभी गेस्ट हाउस और लाज की जांच करेगा? अभी तो श्रद्धालुओ का हुजूम और भी आना बाकि है।

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