तारिक आज़मी
वाराणसी: पुलिस कुम्भ के पलट प्रवाह में क्या व्यस्त हुई, बनारस में अपराधियों के हौसले बुलंद होने लगे। हाल ये है कि कल तक जो खुद को ढक छिप कर रहते थे, आज खुल्लम खुल्ला टहल रहे है। ताज़ा मामला जो अपराधियों के हौसलों के बुलंद इरादों का सामने आया है वह है दालमंडी के एक कारोबारी से रंगदारी मांगे जाने का मामला। प्रकरण में पीड़ित कारोबारी ने चौक पुलिस को तहरीर लिखित दिया है, जिस पर पुलिस जांच शुरू हो गई है। वही विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी के बचाव में खुद को सर्विसलांस सेल में तैनात दरोगा बताने वाले द्वारा पैरवी किया जा रहा है।
वही विभागीय सूत्रों से मिली गोपनीय जानकारी के अनुसार आरोपी असद राशिद उर्फ़ मुन्ना बजरंगी की पैरवी में खुद को सर्विसलांस सेल में तैनात दरोगा बताने वाले एक सज्जन लग गए है। विभागीय सूत्र बताते है कि आज सोमवार के दोपहर लगभग 3 बजे के करीब उन्होंने दालमंडी चौकी इंचार्ज को फोन करके मामले को मैनेज करने की कोशिश किया है। वही दालमंडी चौकी इंचार्ज भृगुपति पाण्डेय ने इस बात की पुष्टि तो नहीं किया है, मगर हमारे विभागीय सूत्र ने मजबूती से दावा किया है कि सुचना एकदम दुरुस्त है।
क्या बन रहा दालमंडी में वसूली करने का दुबारा रास्ता…..?
बताते चले कि दालमंडी अपराधियों के लिए सबसे आसान चारागाह रही है। यहाँ के सीधे साधे कारोबारियों को डरा धमका कर वसूली का गोरखधंधा वर्ष 2017 तक खूब फल फुल चूका था। मगर उसके बाद से विभाग की सख्ती ने यह वसूली गैंग बंद कर डाला और सब ठीक ठाक चलने लगा था। विगत कुछ समय से नदेसर के निवासी कुछ युवको और एक-दो दालमंडी के बाहर के निवासी हिस्ट्रीशीटर दालमंडी में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहे। इसका कारण भी सियासी ही है और सियासत का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इसी में से एक गुट नदेसर का है जो कभी कुख्यात माफिया रहे मेराज का कथित करीबी हुआ करता था।
बिल्डर की आपसी पंचायत में गैंग हुआ मजबूत और नज़र आया पैसा
स्थानीय सूत्र बताते है कि असद राशिद नाम का व्यक्ति और पूर्व विधायक स्व0 अब्दुल कलाम के एक रिश्तेदार खुद को बताने वाले ने दो बिल्डर के बीच चल रहे आपसी लेनदेन के विवाद में महती भूमिका निभाते हुवे दोनों की पंचायत करवा कर मामला हल करवा दिया था। सूत्रों की माने तो इस पंचायत में इस गुट को मोटी रकम बतौर मध्यस्थ मिली थी। दो बिल्डर के एक मामले को हल करने पर लाखो रूपये देख कर इनके जोश बढ़ गए। जिसके बाद हिस्ट्रीशीटर को संरक्षण देने के मशहुर एक अन्य व्यक्ति ने संरक्षण की चादर फैला दिया। हिस्ट्रीशीटर के स्वागत में पलके बिछा कर उनके हर एक मांग को होने से पहले पूरा करने के कारण मनोबल बढ़ता गया।
इसी कवायद में नए नए समाजवादी बने एक साहब को अपना कद बड़ा दिखाने की चाहत पैदा हो गई और इसके चक्कर में पैसे की किया बात…? अखिलेश यादव लखनऊ आने वाले है तो उनकी फ्लाइट लैंड करने के थोड़ी देर बाद का एक टिकट कही जाने का बुक करवाओ और एयरपोर्ट के अन्दर जाओ, फिर अखिलेश यादव के पीछे पीछे वापस एयरपोर्ट से बाहर आने पर लोग देखने वाले यही समझ जायेगे कि नेता जी की पकड़ सीधे पार्टी मुखिया तक है। ऐसी सियासत ने इस तरीके के लोगो को और भी बल दे दिया क्योकि सियासत में बाहुबल की ज़रूरत होती है। ये बात जग जाहिर है।
कौन है असद राशिद….?
असद राशिद के सम्बन्ध में जब हमने अपने सूत्रों से जानकारी इकठ्ठा करने की कोशिश किया तो जानकारी निकल कर सामने आई कि पूर्व विधायक स्व0 अब्दुल कलाम के मोहल्ले का निवासी यह व्यक्ति खुद को किलर मशीन दुर्दांत माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी जो जेल में मारा जा चूका है का करीबी बताता है। अब यह करीबी था कि नहीं था इसकी कोई पुष्टि नही मिलती है। इसके अतिरिक्त जेल में मारे जा चुके माफिया मेराज के साथ भी मिली जानकारी के अनुसार कुछ वक्त इसने गुज़ारा है। फिलहाल विभाग के चंद लोगो की खिदमत से यह खुद का अब साम्राज्य स्थापित करना चाहता है, मगर नदेसर जैसा इलाका सेफ न होने के कारण दालमंडी टारगेट पर है।
क्या कहती है पुलिस ?
इस सबंध में जब हमने इस्पेक्टर चौक से बात किया तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर मामले में जांच चल रही है। प्राप्त सीसीटीवी फुटेज के आधार पर फालोअप फुटेज की जांच होगी और कड़ी से कड़ी जोड़ते हुवे आरोपियों पर सख्त कार्यवाही होगी। उन्होंने बताया कि मामले की जांच दालमंडी चौकी इंचार्ज भृगुपति पाण्डेय को सौपी गई है। जल्द ही मामले का खुलासा होगा।
वही एक बड़ा सवाल दालमंडी चौकी इंचार्ज पर भी उठ रहा है कि आखिर 25 फरवरी को मिले गंभीर आरोप में शिकायती प्रार्थना पत्र को अभी तक अपराध पंजीकरण के श्रेणी में क्यों नही लाया गया ? जैसा हमारे विभागीय सूत्र बताते है कि आरोपी असद राशिद ने जिस नम्बर से कॉल किया था वह नंबर किसी अन्य के नाम से खरीदा गया है और फोन अभी तक चालू है। ऐसे में हमारे विभागीय सूत्रों की वह जानकारी जिसमे उन्होंने विभाग के सर्विसलांस सेल में तैनात एक दरोगा द्वारा आरोपी के पैरवी की बात किया जा रहा था वह हकीकत की ज़मीन पर सच होती दिखाई दे रही है।
फुटेज में धमकी देने आने वाले साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे है। फुटेज को अगर गौर से देखे तो कुछ आरोपी युवक महज़ चप्पल पहने है। इससे कम से कम ये साबित तो होता है कि आने वाले युवक क्षेत्र के बारे में पुख्ता जानकारी रखते थे। साथ ही यह भी स्पष्ट देखा जा सकता है कि एक युवक गली में भी कैप लगाये खड़ा है। अपराधिक गतिविधि के जानकार इस फुटेज को देख कर ही बता सकते है कि मामला गंभीर है। अब देखना होगा कि दालमंडी चौकी इंचार्ज इसकी गंभीरता को कब समझेगे? फिलहाल जांच जारी है और विभागीय सूत्र कहते है कि विभाग की पैरवी भी आरोपी के पक्ष में जारी है। अब देखना होगा कि जीत इंसाफ की होती है या पैरवी की।
ब्रेकिंग न्यूज़: पिक्चर तो अभी पूरी बाकि है
वैसे चलने के पहले बताते चले कि पिक्चर अभी पूरी बाकि है। क्योकि हमारे बहुत ही कर्रे वाले एक सूत्र ने बताया है कि यह रंगदारी सिर्फ एक शाहनवाज़ उर्फ़ शानू मोबाइल से ही नहीं मांगी गई है, बल्कि उसी दिन एक अन्य बिल्डर से भी मांगी गई है। हमारे कर्रे वाले सूत्र बताते है कि वह दूसरा बिल्डर बुरी तरह डरा हुआ है और उसने पुलिस को शिकायत भी नहीं किया है। क्योकि एक शिकायत पर अभी तक अपराध पंजीकृत नही हुआ है, जो उसके डर को और भी मजबूत कर रहा है। फिलहाल हमारे कर्रे वाले सूत्र मामले की तफ्तीश में जुटे है, हो सकता है कि धमाकेदार अगली खबर आपको देर रात तक मिले, तब तक आप इफ्तारी करे और फिर सहरी के वक्त तक दूसरी खबर का इंतज़ार करे। जुड़े रहे हमारे साथ क्योकि हम न तो किसी अपराधी से खौफ खाते है और न उनके संरक्षणदाता से डरते है। एक जान है ‘अल्लाह ले, या मोहल्ला ले या फिर कथित मिनी मुन्ना बजरंगी ले।’ जुड़े रहे हमारे साथ
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