तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी के दालमंडी को अपराधी और उनके शरण दाता किसी बैंक से कम नहीं समझते है। यहाँ के सीधे साधे कारोबारियों पर धमकी देकर डरा कर पैसे वसूलने का सबसे आसान रास्ता बना रखा है। इस कड़ी में विगत कुछ समय से नदेसर और खजुरी इलाके के रहने वाले दबंगों ने अपने वसूली का अड्डा बना रखा है। दिनांक 22 फरवरी को दालमंडी के बिल्डर और मोबाइल कारोबारी शाहनवाज़ उर्फ़ शानू मोबाइल से फोन पर रंगदारी मांगी गई थी।
शिकायत में पीड़ित शानू मोबाइल ने पुलिस को बताया है कि राशिद जो खुद को कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी जो जेल में मारा जा चूका है का साथी और जेल के अन्दर ही गैंगवार में मारे गए मेराज का करीबी साथी बताता है के द्वारा फोन पर 10 लाख रुपया रंगदारी मांगी गई है। इतनी गंभीर शिकायत पर चौकी इंचार्ज द्वारा मामला अभी तक नहीं दर्ज करना भी बड़ा सवाल था। मगर जब मामले की जानकारी इस्पेक्टर विमल मिश्रा को हुई तो उन्होंने मामले में संज्ञान लेते हुवे जांच हेतु दालमंडी चौकी इंचार्ज भृगुपति पाण्डेय को निर्देशित किया है। वही विभागीय सूत्रों के अनुसार इस मामले में आरोपी राशिद की पैरवी विभाग के खुद को सर्विसलांस सेल में तैनात एक दरोगा बताने वाले व्यक्ति द्वारा भी किया जा रहा है।
उसी दिन एक और कारोबारी से मांगी गई रंगदारी
वही हमारे सूत्रों ने पुख्ता जानकारी दिया कि उस दिन सिर्फ एक शानू मोबाइल से ही रंगदारी नहीं मांगी गई है, बल्कि एक और कारोबारी के यहाँ भी यह अपराधी किस्म के नज़र आ रहे युवको के द्वारा रंगदारी मांगी गई है। दिनांक 25 फरवरी को जब शाहनवाज़ उर्फ़ शानू के यहाँ रंगदारी मांगने के लिए जो अपराधिक किस्म के युवक आये थे, वह वह से निकल कर दालमंडी के खजूर वाली मस्जिद के पास स्थित नाजिम दुपट्टा हाउस भी गए थे और वहाँ पर भी रंगदारी माँगा गया है। इस घटना से भयभीत कारोबारी ने पुलिस से शिकायत भी दर्ज नहीं करवाया है।
हमने इस सुचना की पुष्टि नाजिम दुपट्टा हाउस के प्रमुख गुलाम अशरफ से किया तो उन्होंने सुचना की पुष्टि करते हुवे बताया कि दिनांक 25 फरवरी को कुछ अपराधी किस्म के दिखाई दे रहे युवक उनके दूकान पर आये और अपने मोबाइल से किसी राशिद से बात करवाया। बात करने वाले व्यक्ति ने अपना परिचय दिया कि वह किलर मशीन मुन्ना बजरंगी के लिए काम करता था और माफिया मेराज के लिए काम करता था। पहले शहर उत्तरी के पूर्व विधायक स्व0 कलाम के लिए भी कार्य कर चूका है। फोन पर बात कर रहे व्यक्ति ने कारोबारी से 10 लाख की रंगदारी मांगी है जिसके लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है।
हमारे द्वारा कथित घटना के दिन का नाजिम दुपट्टा हाउस में लगा कैमरा जब देखा गया तो उस दिन वही युवक नाजिम दुपट्टा होइसे पर गए थे जो शहनवाज़ उर्फ़ शानू मोबाइल के दुकान पर गए थे, फुटेज में साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है कि एक ग्राहक काउंटर पर खड़ा होकर पैसे दे रहा था। इसी दरमियान तीन संदिग्ध युवक आते है और अपने मोबाइल से नम्बर मिला कर काउंटर पर बैठे कारोबारी को बात करने के लिए देता है। वीडियो में साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है कि तीनो युवक बड़े ही दबंगई के साथ खड़े है। कम से कम तीनो युवक ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निहत्थे तो नहीं रहे होंगे वरना इतनी घनी आबादी के बीच आकर इस तरह से धमकी देना कोई मामूली बात तो नहीं हो सकती है।
इस घटना के सम्बन्ध में कारोबारी गुलाम अशरफ ने बताया कि उनको शानू मोबाइल के साथ हुई घटना और लिखित तहरीर थाने पर दिए जाने की जानकारी थी। मगर पुलिस द्वारा किसी गंभीर कार्यवाही को न देख कर और फोन पर मिली धमकी कि ”पुलिस में हमारी सेटिंग है और पुलिस हम पर कार्यवाही नहीं करेगी’, के कारण दहशत हुई और हमने पुलिस को तहरीर नहीं दिया है।
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस उभर रहे नए गुट का नेतृत्व खुद को पूर्व विधायक स्व0 कलाम का करीबी रिश्तेदार बताने वाला व्यक्ति करता है। इसके पूर्व दो बिल्डर की आपसी पंचायत का मामला इन सबने हल करवा कर मोटी रकम दोनों पक्ष से कमाया था। जिसके बाद इस गुट के निशाने पर दालमंडी आसान शिकार के तरह हो गई है। थोड़ी धमकी और दालमंडी के निवासियों की खामोश रजामंदी के बीच आसानी से आता पैसा आकर्षण का केंद्र हो गया। उस पर व्यस्त पुलिस प्रशासन साथ में यह स्थिति कि प्रशानिक व्यक्ति ही कथित तौर पर ऐसे लोगो की पैरवी करेगा तो मनोबल बढेगा ही बढेगा।
अब देखना होगा कि एक नहीं दो जगह से रंगदारी मांगने वाले पर पुलिस कार्यवाही करती है। या फिर मामला ठन्डे बसते में चला जाता है। वैसे इस्पेक्टर चौक विमल मिश्रा की निष्पक्षता पर किसी को संदेह नही हो सकता है। मगर अगर अधीनस्थ ही दुसरे चश्मे से दुनिया दिखा दे तो क्या ही किया जा सकता है। दालमंडी चौकी प्रभारी के द्वारा इतनी गंभीर मामले में जिस प्रकार से आज एक 6 दिन बाद जांच शुरू किया गया है, वह ऐसे लोगो को मनोबल बढाने वाला ही कहा जायेगा। शाहनवाज़ उर्फ़ शानू मोबाइल के मामले में समाचार सम्पादित किये जाने तक ऍफ़आईआर दर्ज नही होने की जानकारी मिल रही है।
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