ईदुल अमीन
डेस्क: बाम्बे हाई कोर्ट ने नागपुर हिंसा के दो आरोपियों के घरों को ढहाने पर रोक लगा दी है। हिंसा के एक आरोपी के घर को कोर्ट के आदेश से पहले ही ढहा दिया गया था जबकि दूसरे आरोपी के घर को ढहाने की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद रोक दी गई। कोर्ट ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
नागपुर में 17 मार्च की शाम को दो जगह पर हिंसा हुई थी। नागपुर नगर निगर (एनएमसी) ने हिंसा के आरोपियों के घर गिराने को लेकर नोटिस जारी किया था। इस आदेश के खिलाफ मुख्य आरोपी फहीम खान की 69 साल की मां मेहरुनिसा और अब्दुल हाफिज ने अदालत में याचिका डाली थी। हाफिज के रिश्तेदारों का नाम दंगे में आया था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि तोड़फोड़ मनमाने ढंग से की गई और ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस नितिन साम्ब्रे और जस्टिस वृषाली जोशी ने याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने आरोपियों के घरों को गिराने के आदेश पर रोक लगा दी। बेंच ने कहा कि एनएमसी की कार्रवाई की कानूनी जांच करने की आवश्यकता है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच ने नगर निगम से पूछा, “यह नोटिस घर के मालिकों को क्यों नहीं दिया गया कि उनके घर अवैध निर्माण है? संपत्ति को गिराने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका क्यों नहीं दिया गया? क्या एनएमसी याचिकाकर्ताओं को उनके धर्म के आधार पर निशाना बना रही है?” बेंच ने कहा कि यह कार्रवाई दमनात्मक तरीके से की गई है जिसमें बिना बात सुने ही लोगों के घरों को गिरा दिया गया।
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