Special

वाराणसी पुलिस कमिश्नर साहब, आपके मातहत अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने में लापरवाह है, खुद बताये लापरवाह नहीं तो फिर मनीष सिंह (जंसा) जैसे खूखार अपराधी के लिए ऐसी लापरवाही कैसे हुई..?

तारिक आज़मी

वाराणसी: पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल अपने मातहतो पर अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने और पैनी नज़र रखने की नसीहते देते है। मगर उनके मातहत की हालात ऐसे है कि वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के मोस्ट वांटेड अपराधियों के सम्बन्ध में अगर बात उनसे करे तो अधिकतर ऐसे आपको दिखाई देंगे जिनको उन अपराधियों के ढंग से नाम तक नहीं पता है। उनकी कुंडली बताना तो बहुत दूर की बात है। शायद इसीलिए आज भी मनीष सिंह (जंसा) वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के लिए अबूझ पहेली है।

मनीष सिंह (जंसा) के खिलाफ एक दर्जन के करीब गंभीर अपराधिक मामले वाराणसी के विभिन्न थानों में दर्ज है। जिसमे हत्या, रंगदारी और हत्या के प्रयास जैसे मामले शामिल है। अभी पिछले दिनों जंसा बाज़ार में एक प्रापर्टी डीलर के दफ्तर पर गोली काण्ड में मनीष का नाम सामने आया था। विभागीय सूत्रों की माने तो उस मामले के विवेचक द्वारा अभी तक हमलावरों पर कुडकी की कार्यवाही प्रचलित है, मगर इस मामले में पुलिस को मनीष सिंह का नाम होने के साक्ष्य उपलब्ध नही है। मनीष सिंह जो एक समय में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट का 2 लाख रूपये का इनामिया अपराधी था, कब और कैसे खत्म हुआ इस बात को गहराई से समझने की ज़रूरत है क्योकि वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के इनामिया अपराधियों की लिस्ट में शायद अब उसका नाम कट चूका है।

सूत्रों की माने तो अंडरवर्ल्ड अपराधियों के संरक्षण में मनीष सिंह अब और भी खूंखार हो चूका है। वाराणसी पुलिस की गिरफ्त से फरार होने के बाद से मनीष सिंह ने अपराध जगत में जमकर नाम कमाया। बताया यहाँ तक जाता है कि मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद मुंबई के अंडरवर्ल्ड की हुई एक गोपनीय मीटिंग में मनीष सिंह को मुन्ना बजरंगी का स्थान देकर वसूली की पूरी ज़िम्मेदारी दिया गया था। इन सबके बावजूद भी वाराणसी पुलिस ने इस मामले में इतनी गंभीर चुक किया है, जिसका जवाबदेह आज भी कोई नहीं है।

कौन है मनीष सिंह जंसा

आइये पहले आपको बताते चलते है कि कौन है मनीष सिंह जंसा। जंसा के दीनदासपुर के रहने वाले मनीष सिंह ने युवावस्था में ही अपराध का दामन थाम लिया था। 30 जून 2001 में फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सचिव अजीत देवानी की रंगदारी नहीं देने पर हत्या कर दी थी। इस हत्या में शूटर के तौर पर मनीष सिंह का नाम सामने आया था। हालांकि इस हत्याकांड में अबू सलेम और चोलापुर के इमलिया गांव निवासी दीपक सिंह दीपू का भी नाम सामने आया था। दीपू को वर्ष 2009 में बिहार पुलिस ने सासाराम में मार गिराया था। इस हत्याकांड की गुत्थी दाऊद इब्राहीम तक जाने से यह भी माना जा सकता है कि पूर्वांचल के अपराध जगत से निकला यह अपराधी अंडरवर्ल्ड तक अपनी पैठ बना चूका था। उधर, इस चर्चित हत्याकांड के बाद से पर महाराष्ट्र के बकोला थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। साथ ही मनीष सिंह पर मकोका के तहत भी मामला दर्ज हुआ था।

वाराणसी पुलिस गिरफ्त में आये मनीष सिंह को जेल से 26 जून 2009 को एडीजे तृतीय और नवम के अदालत में पेशी पर लाया गया था। जहा से तीन पुलिस वालो के साथ उसने एक रेस्टुरेंट में बेहतरीन जलपान किया और पुलिस कर्मियों को करवाया भी, इसी दरमियान मनीष सिंह पुलिस कर्मी नरेन्द्र सिंह, क्षमानाथ सिंह और संजय राय को चकमा देकर फरार हो गया। इस मामले में तीनो पुलिस कर्मियों नरेन्द्र सिंह, क्षमानाथ सिंह और संजय राय पर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और तीनो को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उनकी मिलीभगत से मनीष सिंह भाग गया। मगर पुलिस अपना पक्ष अदालत में नहीं पेश कर पाई और तीनो पुलिसकर्मियों को वर्ष 2024 में अदालत ने दोषमुक्त कर दिया।

हमारे विभागीय सूत्र बताते है कि इस मामले में विवेचक ने मनीष सिंह के अहमदाबाद में गिरफ्तार होने के बाद भी वारंट बी अदालत से हासिल नही किया था और न ही पूछताछ के आधार पर कोई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया। यानि विवेचक ने मनीष सिंह से अहमदबाद जाकर पूछताछ करना भी ज़रूरी नही समझा। जबकि कैंट थाने की पुलिस ने 24 मई 2010 को 50 हजार का इनाम घोषित किया था। मनीष सिंह के दुर्दांत अपराधो में सबसे बड़ा था सैम्स निदेशक आर0के0 सिंह की हत्या। 21 अप्रैल 2007 को सैम्स के निदेशक आरके सिंह की रथयात्रा स्थित एक लॉन के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या से पुलिस की इतनी किरकिरी हुई कि तत्कालीन एसएसपी सुजीत कुमार पांडेय को हटा दिया गया था।

पुलिस के अनुसार मनीष सिंह ने वर्ष 2012 में आरके सिंह हत्याकांड में साजिशकर्ता रहे अशोक तलरेजा पर दिनदहाड़े फायरिंग की थी। इसी दिन शाम को लूट की नियत से रोहनिया में आढ़ती हरिनाथ पटेल की गोली मारकर हत्या की थी। इसके बाद मनीष ने मुंबई में कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। इन सबके बावजूद भी हमारे विभागीय सूत्र बताते है कि किसी भी अपराध में विवेचक अथवा सम्बन्धित थाने ने मनीष सिंह को अहमदाबाद से वाराणसी लाने का प्रयास नही किया। अगर प्रयास किया होता तो मनीष सिंह पर दर्ज कई मामलो में ट्रायल की रफ़्तार तेज़ हो चुकी होती।

क्या और कब हुआ मनीष के लिए पुलिस का प्रयास

इसके बाद अपराधियों पर काल की तरह टूटने के लिए मशहूर रहे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट शिवानन्द मिश्रा जब रोहनिया के थानेदार हुआ करते थे तब थाने के एक मामले में मनीष सिंह को दबोचने को लेकर घेराबंदी की थी लेकिन वह भाग निकला था। इसके बाद ही शिवानन्द मिश्रा का ट्रांसफर हो गया और मनीष सिंह को वाराणसी पुलिस भूलने की कोशिश इस तरीके से करने लगी जैसे कोई बुरा ख्वाब देख कर भुला जाता है। फिर इसके वर्ष 2019 में तत्कालीन एसपी सिटी वाराणसी दिनेश सिंह ने खुद के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया जिसमे तत्कालीन थाना प्रभारी लंका भारत भूषण तिवारी, तत्कालीन बीएचयु चौकी इंचार्ज अमरेन्द्र पाण्डेय, चितईपुर चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह और सुन्दरपुर चौकी इंचार्ज सूरज तिवारी को मनीष सिंह तथा रुपेश सेठ की गिरफ़्तारी का टारगेट दिया।

ये वह दौर था जब इनामियां अपराधियों के धर पकड़ में एक कम्पटीशन क्राइम ब्रांच और लंका पुलिस के बीच चल रहा था। इस हेल्दी कम्पटीशन में कभी क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह भारी पड़ते तो कभी लंका थाना प्रभारी भारत भूषण तिवारी भारी रहते। इसी दरमियान क्राइम ब्रांच प्रभारी रहे विक्रम सिंह को रुपेश सेठ के रूप में सफलता मिली जब रुपेश सेठ उनके टीम के हत्थे चढ़ गया। अब लंका पुलिस की इस टीम जिसके नेतृत्व खुद दिनेश सिंह कर रहे थे उसका मुख्य टारगेट बचा मनीष सिंह जंसा। हमारे सूत्र बताते है कि रेड कलर की पजिरो से उस दरमियान मनीष सिंह शहर में अपने जरायम के कारोबार को अंजाम देता था।

भारत भूषण तिवारी के पास पुख्ता जानकारी हासिल हुई कि मनीष सिंह जंसा किस वक्त कहा आएगा। मगर इस टीम की बदकिस्मती कह सकते है या फिर मनीष सिंह जंसा की किस्मत कि टीम के पहुचने से पहले ही अपनी परेजो से मनीष सिंह फरार हो गया था।  सूत्र बताते है कि पुलिस की इस कार्यवाही से सिर्फ मनीष सिंह ही नहीं बल्कि उसके आका भी घबरा गए और जरायम की दुनिया में हडकंप मच गया था। सूत्र बताते है कि ये हडकंप अंडरवर्ल्ड तक गया, जिसमे मनीष सिंह के बॉस समझे जाने वाले दाऊद के शूटर सुभाष ठाकुर जो फिलहाल सेन्ट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है को भी बेचैन कर बैठा।

जिसके बाद मनीष सिंह को बनारस से हटाया गया और वह गुजरात में अपना अड्डा बना बैठा। इसी दरमियान सितम्बर 2021 में मनीष सिंह को अहमदाबाद पुलिस ने बड़े ही नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया और ये गिरफ़्तारी भी कई कैमरों की निगरानी में हुई। मनीष सिंह के अहमदाबाद में गिरफ़्तारी की जानकारी आने के बाद वाराणसी पुलिस में खलबली मची मगर ये खलबली काफी देर तक नहीं रह सकी और मनीष सिंह जैसे अपराधियों के लिए गठित पुलिस टीम जिसमे भारत भूषण तिवारी थे यह पूरी टीम ही तितर बितर हो गई।

विक्रम सिंह का गैरजनपद स्थानांतरण हो गया और वह वर्त्तमान में लखनऊ में हजरतगंज थाना प्रभारी है। जबकि भारत भूषण तिवारी का एटीएस और अन्य उनकी टीम के सदस्यों का भी इधर उधर ट्रांसफर हो गया। जिसके बाद अपराध और अपराधियों के खिलाफ कम्पटीशन के तौर पर चल रही पुलिस की एक रेस को ऐसा ब्रेक लगती है कि वाराणसी पुलिस टॉप मोस्ट इनामिया अपराधियों को ही भूल जाती है। अगर एसटीऍफ़ की कार्यशैली को छोड़ दे तो कोई भी बड़ा इनामियां अपराधी वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली ही बना हुआ है, भले वह विश्वास नेपाली हो अथवा अज़ीम। या फिर बीकेडी जैसा खूंखार और खतरनाक अपराधी हो।

यही वह पड़ाव था जहा से पुलिस की बड़े इनामिया अपराधियों पर से नज़र हट गई और हद तो अब ये है कि शायद ही कोई थाना प्रभारी हो या फिर चौकी इंचार्ज उसको बीकेडी का असली नाम तक मालूम हो। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब कितनी फुर्सत बची पुलिस के पास इन अपराधियों के खिलाफ कोई सोचने की। अगर बीकेडी का नाम भी किसी थाना प्रभारी अथवा चौकी इंचार्ज से पूछे तो शायद ही कोई बता पायेगा क्योकि इस खूंखार अपराधी जो एक हवा के झोके की तरह है को वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस भूल चुकी है।

क्या है मनीष सिंह मामले में पुलिस की बड़ी चुक

मनीष सिंह मामले में कितनी लापरवाही वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने दिखाई इसका बड़ा उदाहरण आपके सामने पेश करता हूँ। वर्ष 2021 में मनीष सिंह की गिरफ़्तारी अहमदाबाद पुलिस द्वारा किये जाने के बाद चर्चा बड़ी जोरो से हुई कि मनीष सिंह के लिए वाराणसी की पुलिस अहमदाबाद जायेगी। मगर हकीकत थोडा इसके उलट है जिसको गौर देने की बात है कि मनीष सिंह के फरारी की ऍफ़आईआर कैंट थाने में दर्ज हुई। कैंट से ही सबसे पहला मनीष सिंह पर ईनाम 50 हज़ार घोषित हुआ। इस फरारी मामले में आरोपी तीनो सिपाहियों को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया। मगर कैंट पुलिस इस फरारी मामले में मनीष सिंह का सितम्बर 2021 से लेकर मार्च 2024 तक बनारस नही ला पाई और इस फरारी मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों को अदालत बरी कर देती है।

हमारे विभागीय सूत्र बताते है कि सिर्फ यही एक नहीं बल्कि किसी भी मामले में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट मनीष सिंह को वाराणसी लाने की कोशिश भी नही कर रही है। ऐसा लगता है जैसे मुसीबत समझ कर मामला अहमदाबाद और महाराष्ट्र पुलिस के पाले में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट डाले हुवे है। कमिश्नर साहब के मातहत उनको इस बात की जानकारी तो उपलब्ध करवा चुके है कि मनीष सिंह अहमदाबाद जेल में है और ईनाम खत्म हो जाता है। मगर वही मातहत उनको इस बात की जानकारी शायद नहीं देते है कि मनीष सिंह के फरारी मामले में मुख्य साक्ष्य तो खुद मनीष सिंह है। उसके गिरफ़्तारी के बाद कम से कम अदालत के हुक्म को हासिल करके अहमदाबाद से उसको बनारस लाकर पूछताछ तो किया ही जा सकता है। उसकी फरारी में जो लोग मददगार थे उनका नाम खुल जाता। ऐसा तो कम से कम नहीं हुआ होगा कि मनीष सिंह कचहरी से ऑटो पकड़ कर कैंट आया होगा और ट्रेन पकड़ कर बिना टिकट भाग गया होगा।

मगर इसके लिए मेहनत कौन करे ? यहाँ तो कमिश्नर साहब से नम्बर पाना है और वह भी 100 में पूरा 100 नम्बर पाना है। सुबह होते ही कमिश्नर साहब को बता देना है कि ‘हुजुर कलिंग विजय हो गई’ और पुरे 100 नम्बर प्राप्त कर लेने है। अब रही बात ये बात कमिश्नर साहब को कौन बताये कि साहब आपके मातहत ही आपको मुगालते में रखते है। या फिर मनीष सिंह के आकाओं की इतनी बड़ी और मजबूत पैठ है कि उसकी फाइल दबी ही हुई है। ऐसे में कौन चले अपने सर पर बवाल लेने ? वैसे इस दरमियान जानकारी निकल कर सामने आई थी कि मनीष सिंह अहमदाबाद जेल से फरार हो गया है। मगर हमारे सूत्र बताते है कि ऐसा नही है, मनीष सिंह जेल में सुरक्षित रहते हुवे अपनी जरायम की दुनियां को चला रहा है और जेल से ही नेटवर्क अपना मजबूत किये हुवे है।

pnn24.in

Recent Posts

राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार की ‘एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव’ योजना को बताया कांग्रेस के घोषणा पत्र की नक़ल

आदिल अहमद डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव' स्कीम को लेकर प्रधानमंत्री…

2 days ago

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ देशभर के कई हिस्सों में हुआ प्रदर्शन

तारिक खान डेस्क: वक़्फ़ संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देशभर के कई हिस्सों में जुमे की…

2 days ago

अमेरिका के 104 फीसद टैरिफ के जवाब में चीन ने लगाया अमेरिका पर कुल 84 फीसद टैरिफ

आदिल अहमद डेस्क: अमेरिका की ओर से लगाए गए 104 फ़ीसदी टैरिफ़ पर चीन ने…

4 days ago

वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक बार फिर भड़की हिंसा

आफताब फारुकी डेस्क: वक़्फ़ क़ानून के विरोध में मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में…

4 days ago