ईदुल अमीन
वाराणसी: वाराणसी के लालपुर पाण्डेयपुर थाने में दर्ज गैंगरेप के मामले में पुलिस ने नामज़द अभियुक्तों को आज अदालत के सामने पेश किया। जहा से अदालत ने रिमांड पर सभी को जेल भेज दिया है। आज अदालत में पेशी के दरमियान भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने अभियुक्तों से मारपीट करने का प्रयास किया। मगर पुलिस ने सख्ती दिखाते हुवे सबको तितर बितर कर डाला।
उन्होंने कहा, ‘लड़की का कहना है कि 29 मार्च को वो अपनी मर्जी से दोस्त के पास गई थी। 4 अप्रैल को लड़की के परिजनों ने पुलिस को सूचना दी कि उनकी बेटी घर से चली गई है और इस संबंध में उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। लेकिन, पुलिस ने उसी दिन लड़की को खोज लिया था, उस दिन लड़की और उनके परिवार वालों ने सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी। उन्होंने 6 अप्रैल को सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई।’
इस मामले में दर्ज ऍफ़आईआर में पीडिता की माँ के आरोपों को अगर आधार माने तो वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस पर भी गंभीर सवाल तो उठ रहा है। स्थानीय मीडिया से लेकर नेशनल मीडिया तक इस घटना को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। पुलिस की तीन टीम इस घटना के खुलासे और अभियुक्तों के खिलाफ साक्ष्य इकठ्ठा करने हेतु लगाया गया है। एसीपी विद्युष कुमार खुद इस टीम का नेतृत्व कर रहे है। पुलिस की टीम के साथ स्थानीय क्राइम टीम को भी साक्ष्य संकलन हेतु लगाया गया है। घटना के सम्बन्ध में वर्णित स्थानों पर पुलिस अब छानबीन कर रही है। घटना के सम्बन्ध में पीडिता की माँ ने पुलिस को दी गई शिकायत और उसके आधार पर दर्ज ऍफ़आईआर की प्रति PNN24 न्यूज़ के पास मौजूद है।
दर्ज ऍफ़आईआर में पीडिता के परिजनों के आरोपों को आधार माने तो इस मामले में पुलिस की पूरी कार्यशैली संदेह के घेरे में आ रही है। यह सिर्फ एक नहीं बल्कि कई थानों की पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है। पीडिता के परिजनों की शिकायत के अनुसार पीडिता दिनांक 30 मार्च की रात कैंट थाना क्षेत्र के नदेसर की सड़क पर तो 1 अप्रैल की रात सिगरा थाना क्षेत्र स्थित आईपी माल के बाहर गुजारी। जबकि 2 अप्रैल को अस्सी घाट पर रात गुजारी। पुरे घटनाक्रम में आरोप है कि पीडिता को नशा करवाया गया था। ऐसे स्थिति में क्या पूरी रात कैंट, सिगरा और भेलूपुर पुलिस के किसी कर्मी की नज़र इस पीडिता पर नहीं पड़ी? क्या रात्रि गश्त और फैंटम दस्तो की रात में गश्त केवल कागज़ी खानापूर्ति तक ही सीमित है?
इस पुरे प्रकरण में पीडिता के आरोपों को आधार माने तो घटना में बाइक पर दुष्कर्म की बात भी है। ऐसे में सभी हाईवे पर पुलिस गश्त भी सवालो के घेरे में है। एक बाइक से ऐसी दुस्साहसिक घटना को हाईवे पर अंजाम दिया जाना भी उस पेट्रोलिंग पर सवाल उठा रहा है। क्या रात के समय हाईवे पर पेट्रोलिंग कर रही टीम आराम कर रही थी? घाट पर रात में पैदल गश्त की बात पुलिस करती है। तो क्या 2 अप्रैल को यह गश्त नही हुई थी?
अस्सी घाट पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाज सेविका महिलाओं की आमद रफत रहती है। क्या एक नशे में खडी अथवा बैठी युवती पर उनकी नज़र नही पड़ी। अस्सी घाट से लगी हुई अस्सी पुलिस चौकी कागजों पर कम से कम 3-4 बार पुरे क्षेत्र में पैदल गश्त करती है? क्या ये गश्त केवल कागजों तक ही सीमित है? आईपी माल के पास ही पुलिस पिकेट है। अक्सर उच्चाधिकारियों की आमद रफत इस रस्ते से रहती है। पुलिस भी इस माल के सामने अक्सर वाहन चेकिंग अभियान चलाती है। ऐसे में पीडिता पर उनकी नज़र न पड़ना बेशक कार्यशैली पर सवाल तो उठा रही है।
बहरहाल, पुलिस इन सभी सवालो का जवाब तलाश रही है। पुलिस को औरंगाबाद के उस गोदाम की भी तलाश है जहा पर गैंगरेप हुआ और साथ ही उन होटलों की भी तलाश है जहा पर पीडिता के साथ दुष्कर्म हुआ। विभिन्न स्पा सेंटरों पर और कैफे पर पुलिस अपनी निगरानी सख्त कर चुकी है और साक्ष्य इकठ्ठा करने के क्रम में उनकी तलाशी लिया जा रहा है। होटलों पर रजिस्टरों की जाँच हो रही है। साथ ही विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिविल ड्रेस में पुलिस विभिन्न चद्दर बदल होटलों पर भी पैनी नज़र रखे है।
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