जब एडिशनल सीपी आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे पहुच गए संदीप मूंगफली वाले के ठेले पर मूंगफली खाने, @dubey_ips की सादगी देख आप भी कह उठेगे वाह……….!
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। सादगी की मिसाले आपके पास कई होंगी। हम आपको सादगी और इंसानियत की जीवन्त मिसाल दिखा रहे है। रात को गश्त करते करते 20 जनवरी को आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे को गुरुधाम चौराहे पर एक मूंगफली वाला गर्म गर्म मूंगफली बेचता हुआ दिखाई दिया। बस फिर क्या था, दिल तो बच्चा है जी। आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे को अपना कालेज टाइम भी याद आ गया और पहुच गए मूंगफली के ठेले पर और संदीप से मूंगफली के दाम पूछने लगे।
— Subhash Dubey IPS (@dubey_ips) January 29, 2022
संदीप अचानक अपने सामने पुलिस वालो को देख कर थोडा घबरा गया। संदीप की घबराहट कम करने के लिए सुभाष चन्द्र दुबे ने उससे बात करना शुरू किया। मूंगफली के दाम पूछे। उसका नाम पूछा और काफी देर तक बात करते रहे। आखिर संदीप के दिल का डर उसकी जबान पर आ गया कि “साहब चालान काटेगे क्या ?” उसने ये लफ्ज़ अपने दिल के खौफ को चेहरे की हंसी में छिपाने की कोशिश करते हुवे बयान किया। मगर नर्म मुलायम लहजे वाले आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने कहा “नही यार, चालान काहे काटेगे, लोग चालान काटने आते है क्या?”
आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने 100 ग्राम मूंगफली खरीदा और चाव से खाया। इस दरमियान संदीप को उन्होंने ज़िन्दगी के गुर भी सिखाये। कल देर रात संदीप से हमारी मुलाकात हुई। संदीप मास्क लगाये हुवे थे। उसने बताया कि “साहब आये थे, उन्होंने ये मास्क दिया है। ऐसा लगता है कि मास्क में उनका आशीर्वाद है। मैं इसको लगाये रहता हु। इतने बड़े साहब ने अपने हाथो से मुझको मास्क दिया है। मैं इसको संभाल कर रखूँगा।”
आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने एक बार फिर साबित किया है कि एक कड़क वर्दी में सख्त एक्शन लेने वाले वह एक नर्मदिल और संजीदा इंसान है। वह फरियादियो की फ़रियाद तो सुनते ही है। साथ ही इंसानियत का तकादा भी उनको भली भांति पता है। वीडियो देख कर ही उनकी नर्मदिली और इंसानियत का आप अंदाज़ लगा सकते है। मूंगफली लेकर उन्होंने जब संदीप को पैसे दिए तो संदीप खौफज़दा होकर ले नही रहा था। संदीप ने बताया कि जब उन्होंने अपने हाथो को उसके कंधे पर रखकर पैसे लेने को कहा तो ऐसा महसूस हुआ कि एक गार्जियन का हाथ मेरे कंधो है। मैंने वह नोट संभाल कर रखा है। जिस दिन से साहब ने आकर मुझसे मूंगफली खरीदी है मेरी बिक्री बढ़ गई है। मेरे लिए वह नोट मेरे रोज़ी में बरकत दे रही है।