सो रहा वाराणसी नगर निगम, आराम तलब कर रही है कैंट पुलिस, और हो रहा कचहरी बुचडखाने के बगल में नाले पर अवैध निर्माण, दबंग फकरू और अल्फी बाबा का दबदबा है कायम

ईदुल अमीन

वाराणसी नगर निगम किसी न किसी अपने क्रियाकलाप के कारण अक्सर चर्चाओं में रहता है। वही वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की कैंट पुलिस भी अक्सर चर्चाओं के केंद्र में रहती है। ताज़ा मामले में दोनों की ही कार्यशैली पर एक बड़ा सवालिया निशाँन लगा है जब कैंट इस्पेक्टर आराम तलब कर रहे है और नगर निगम आज छुट्टी के दिन सो रहा है। जिसका भरपूर फायदा उठाते हुवे रॉयल मीट शाप फकरू और जायका रेस्टुरेंट का मालिक भू माफिया अल्फी बाबा द्वारा नगर निगम के करोडो की संपत्ति पर कब्ज़ा किया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ नगर निगम का पत्र

मामला कुछ इस प्रकार है कि कैंट थाना क्षेत्र स्थित पक्की बाज़ार बुचडखाने के पास नगर निगम की अराजी नम्बर 583 और 653 पर शाही नाला है। यह संपत्ति नजूल की सार्वजनिक संपत्ति है जिसकी इस समय बाज़ार कीमत करोडो में आंकी जाती है। इस संपत्ति को लेकर भू-माफियाओ ने काफी समय से मुह में तेल लगा रखा था कि कब कटहल पके और कब हम खाए। करोडो की संपत्ति पर नज़र गाड़े बैठे भूमाफियाओ ने इसको कब्ज़ा करने के लिए किसी अज्ञात संपत्ति की रजिस्ट्री करवा लिया और कही पर निगाहें कही पर निशाना की तर्ज पर इस संपत्ति को कब्ज़ा करने के लिए लालच भरी नज़र से देख रहे थे।

इस क्रम में सबसे पहला प्रयास दबंग भू-माफिया अल्फी बाबा और मांस माफिया के तौर पर शहर में पहचाने जाने वाले फकरू ने पहले कोशिश किया और निर्माण शुरू करवाया। निर्माण काफी हद तक हो गया। मौका भी ऐसा इन दबंगों द्वारा चुना गया था कि सरकारी कार्यालय बंद रहे। मगर जब खुला तो तत्कालीन नगर निगम के उप नगर आयुक्त ने मामले का संज्ञान लिया और स्थल निरिक्षण हेतु निरीक्षक और कानूनगो को भेजा। इसकी जानकारी एसडीएम को भी हुई और आखिर प्रशासनिक कार्यवाही के तहत यहाँ निर्मित हुई चारदिवारी तोड़ी गई। प्रशासन की ये कार्यवाही भू-माफियाओं को करार जवाब थी।

मगर ये दबंग माफिया भी कहा मानने वाले थे। इस प्रकरण में दुबारा उन्होंने कोशिश किया और दुबारा से इस करोडो की संपत्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश फरवरी माह में हुई। जब इस सार्वजनिक रास्ते को दुबारा कब्ज़ा करने की कोशिश हुई। इस कोर्शिश को 112 के ईमानदार सिपाहियों ने ही विफल कर दिया था और सख्ती दिखाते हुवे काम को तुरंत रुकवा दिया था। महज़ दो ईमानदार सिपाहियों ने ही भूमाफियाओ को पटखनी दे दिया था। जिससे तिलमिलाए भूमाफियाओ ने दुबारा इसको कब्ज़ा करने की कोशिश कल बृहस्पतिवार को किया और दुबारा सुचना पर 112 के सिपाहियों ने काम रुकवा दिया था। मगर इस बार दबंगों ने पूरी तैयारी कर रखा है।

एक तरफ नगर निगम बंद चल रहा है दूसरी तरफ कैंट पुलिस इतनी गर्मी में आराम तलब कर रही है। इसका पूरा फायदा उठाते हुवे भूमाफियाओ ने कल देर रात से ही निर्माण कार्य चालु कर रखा है। निर्माण कार्य पूरी रफ़्तार से चल रहा है। सबसे अचम्भे की बात तो ये है कि कैंट इस्पेक्टर को फोन पर इलाके के कुछ संभ्रांत लोगो ने सोचना दिया तो उन्होंने कहा कि जिन जिन के द्वारा आपत्ति किया जा रहा है उन सबको थाने भेजिए। कैंट इस्पेक्टर की बात सुनकर इस सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्ज़े को रोकने के लिए अपत्तिकर्ताओ के हौसले ही पस्त हो गए कि कही कैंट इस्पेक्टर झूठे मामले में जेल न भेज दे।

क्या कहते है ज़िम्मेदार

जब हमने इस सम्बन्ध में नगर निगम के अधिकारियो से बात किया तो उन्होंने छुट्टी होने की बात कही और आज मौके पर न जा सकने की अपनी मज़बूरी दिखाई। वही दूसरी तरफ जब हमने इस सम्बन्ध में कैंट इस्पेक्टर से उनके सीयुजी नंबर पर फोन करके बात करने की कोशिश किया तो खडी दुपहरिया में साहब के फोन पर लगातार घंटी बजती रही, मगर शायद साहब वातानुकूलित कमरे में आराम कर रहे होंगे और उन्हें आराम में खलल पसंद नही है। फोन वैसे भी इस्पेक्टर कैंट केवल पहचाने हुवे नम्बर का उठाते है। फिर हमारे समझ से बाहर है कि आखिर सीयूजी नम्बर उनका जनता के हितो की रक्षा हेतु दिला है अथवा बस ऐसे ही एक और मोबाइल रखने के लिए दिया गया है। वही कचहरी चौकी इंचार्ज निर्माण करवा रहे लोगो के पास किसी अदालत के आदेश की बात कर रहे है। मगर आदेश क्या है इसकी जानकारी किसी को नही है।

कौन है अल्फी बाबा

कचहरी पर जायका रेस्टुरेंट नाम की दूकान का मालिक अल्फी बाबा खुद को जेल में बंद एक बड़े बाहुबली का नजदीकी बताता है। पुलिस लाइन और कचहरी के पास इसके दो रेस्टुरेंट है। जहा अक्सर पुलिस कर्मी आकर खाना भी खाते है। ये भी सत्यता है कि पुलिस वाले पैसे देकर अपना पेट भरते है। मगर जी हुजूरी करके अल्फी बाबा उनका खुद को सबसे करीबी बताता है। वर्ष 2012 में अल्फी बाबा अचानक एक घटना के बाद चर्चा में आया था। मगर मामले में पुलिस की सख्ती के बाद चर्चा ही शांत हो गई थी।

कौन है फकरू

फकरू शहर बनारस के बड़े मांस कारोबारी में अपना नाम शामिल कर चूका है। कचहरी पर रॉयल मीट शाप नाम की दूकान चलाने वाला फकरू का मुख्य कारोबार ही मीट का है। कहने को तो बकरे और मुर्गे का मांस फकरू बेचता है। मगर सूत्र बताते है कि इलाके में होने वाले अवैध कटान का पूरा संरक्षण फकरू करता है। बड़े बड़े नामो का संरक्षण करने वाले फकरू का सम्बन्ध भी बड़े बड़े लोगो से बताया जाता है। शायद उन्हों बड़े नामो के कारण आज फकरू नियम और कानून सब ताख पर रख कर अपने मन मर्ज़ी जो होता है कर रहा है।

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