ज्ञानवापी प्रकरण: अदालत में दाखिल मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ लेगा वापस, बोले संस्था प्रमुख विसेन “कभी कभी ऐसे फैसले लेने पड़ते है”

तारिक आज़मी

वाराणसी: वाराणसी में आज सुबह सुबह अचानक सबको चौकाने वाली खबर सामने आ रही है। “अख़बार दैनिक भास्कर” ने दावा किया है कि ज्ञानवापी प्रकरण में मुकदमा लड़ रही संस्था विश्व वैदिक सनातन संघ अपना मुकदमा कल सोमवार को वापस ले लेगी। अख़बार की खबर में संस्था प्रमुख जीतेन्द्र सिंह विसेन के बयान को प्रमुखता से दर्शाते हुवे कहा है कि उन्होंने कहा है कि “कुछ निर्णय कभी कभी एकाएक ऐसे लेने पड़ जाते है, जो किसी के समझ से परे होते है। इससे ज्यादा अभी कुछ नही कहूँगा।”

उस खबर के बाद से सियासी और इलाकाई हलचल में सुगबुगाहट पैदा हो गई है। अमन पसंद शहरी जहा इस फैसले के स्वागत करते हुवे दिखाई दे रहे है और सुकून की साँस ले रहे है, वही इस फैसले की जानकारी होने के बाद काफी लोग अचम्भे की स्थिति में भी है। बताते चले कि बिसेन के नेतृत्व में राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में अगस्त 2021 में मुकदमा दाखिल किया था। अदालत से मांग की गई थी कि मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग भी अदालत से की गई थी।

इस मुकदमे में प्रतिवादी उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए मुख्य सचिव सिविल, डीएम वाराणसी, पुलिस कमिश्नर वाराणसी, अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी के मुख्य प्रबंधक और बाबा विश्वनाथ ट्रस्ट के सचिव को बनाया गया था। बताते चले कि मुक़दमे में 5 वादी महिलाए है। इनमे से राखी सिंह को छोड़ कर सभी वाराणसी की है। अभी तक महिलाओं का कोई भी बयान सामने नही आया है। वही कल सर्वे का काम रुकने के बाद विसेन ने अपनी कानूनी सलाहकार समिति को भंग करने का फैसला लिया था।

क्या हुआ है अभी तक इस मुक़दमे में

पांच महिलाओं द्वारा याचिका दाखिल करने के बाद वाराणसी की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। कोर्ट ने 10 मई को रिपोर्ट तलब की है। अदालत के आदेश पर नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में 6 मई की दोपहर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुरू किया। पहले ही दिन सर्वे को लेकर हंगामा और नारेबाजी हुई। मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया कि एडवोकेट कमिश्नर निष्पक्ष तरीके से नहीं बल्कि पार्टी बनाकर सर्वे करा रहे हैं। इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र भी दिया। अदालत ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर को उनका पक्ष रखने के लिए 9 मई की तिथि तय की और सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। 7 मई की दोपहर सर्वे का काम फिर शुरू हुआ। वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि तकरीबन 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद में मौजूद थे और उन्हें सर्वे के लिए वहां अंदर नहीं जाने दिया गया। इस वजह से वह सर्वे छोड़ कर जा रहे हैं और अब अपना पक्ष 9 मई को अदालत में रखेंगे।

वही मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं का आरोप था कि सर्वे कमिश्नर की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है। अदालत ने एक जरनल कमीशन बनाया था जो मामले “जो है जहा है, जैसे है” के तर्ज पर सर्वे करने के लिए और वीडियोग्राफी करने के लिए आया था। मगर सर्वे कमिश्नर पत्थरो को उलटपुलट कर ऊपर नीचे करके एक वादी की तरफ बर्ताव करते हुवे सर्वे कर रहे थे। अदालत ने मस्जिद में सर्वे का फैसला नही दिया था। तो फिर सर्वे कमिश्नर को हम मस्जिद में सर्वे करने की इजाज़त कैसे दे सकते है।

मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था: वरिष्ठ अधिवक्ता : विजय शंकर रस्तोगी

“अख़बार दैनिक भास्कर” ने अपनी खबर में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र और वाराणसी के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी का बयान भी दर्शाया है। उनके बयान के मुताबिक वाद दाखिल करने वाली महिलाएं प्रार्थना पत्र देकर ज्ञानवापी का मुकदमा वापस ले सकती हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। उससे किसी को कोई असर नहीं पड़ेगा। इस मुकदमे पर मेरा विधिक ज्ञान कहता है कि यह मुकदमा ही गलत दाखिल किया गया था। मुस्लिम पक्ष ने शृंगार गौरी मंदिर पर कभी दावा नहीं किया था और न कभी उस जगह को अपना बताया था। बहरहाल, जितेंद्र सिंह बिसेन को अब भी सद्बुद्धि आ गई है तो बहुत ही अच्छी बात है।

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