उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र की कार्यवाही रोकने के लिए दाखिल जमियत की याचिका पर कल होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जस्टिस ए0एस0 बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच करेगी सुनवाई
शाहीन बनारसी
नई दिल्ली: जमियत-ए-ओलमा-ए-हिन्द की जानिब से उत्तर प्रदेश में बुल्डोज़र की सख्त मज्जमत करते हुवे दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में कल जस्टिस ए0एस0 बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच सुनवाई करेगी। बताते चलें कि बुलडोजर कार्रवाई के मुखालिफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। अर्जी में कानून की प्रक्रिया के बिना मकानों को ना ढहाने के निर्देश देने की मांग की गई है। मनमानी करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की भी मांग की गई है।
अर्जी में कहा गया है कि प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाए कि वो कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और तोड़फोड़ ना करे। अर्जी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए कानून और नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन में ध्वस्त किए गए घरों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई है ।जमीयत के अनुसार वर्तमान स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उत्तर पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के रूप में की जा रही तोड़फोड़ पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
बताते चलें कि रविवार को प्रयागराज हिंसा के आरोपी जावेद अहमद के घर पर बुलडोजर चलाया गया था। घर तोड़े जाने पर जावेद अहमद की बेटी सोमैया ने एक खबरिया चैनल के साथ बात करते हुए सवाल उठाया था कि ‘अचानक से मेरा घर अवैध कैसे हो गया?’। सोमैया फातिमा ने कहा था कि यह बात समझना बहुत जरूरी है कि अचानक से हमारा घर अवैध कैसे हो गया? जब हम लोग हर बार टैक्स देते रहे हैं तब फिर अचानक बिना किसी नोटिस के एक दिन के अंदर ही अंदर अवैध कैसे हो गया? ये सब 12 घंटे के अंदर हो गया। यह घर मेरी अम्मी के नाम पर था। मेरे नाना ने उनको गिफ्ट में दिया था। इसमे मेरे अब्बा का कोई हाथ नहीं था। जमीन मेरी अम्मी की थी। जिस पर बने घर को अवैध बताकर तोड़ दिया गया है।