गुजरात मोराबी पुल हादसा: नगर निगम मोराबी और ओरेवा कंपनी के बीच हुवे कांट्रैक पर उठने लगे अनसुलझे सवाल

तारिक़ आज़मी (इनपुट: यश कुमार)

डेस्क: गुजरात के मोराबी पुल हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में सैकड़ो जाने चली गई है। हादसे के समय बताया जाता है कि पुल पर लगभग 500 से अधिक लोगो की भीड़ इकठ्ठा थी। ब्रिटिश शासनकाल में मोराबी नरेश के किले से लेकर राज को जोड़ने के लिए बने इस पुल को बंद कर दिया गया था और स्थानीय नगर निकाय ने अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी ओरेवा ग्रुप को इस पुल की मरम्मत और 15 वर्षो तक रखरखाव का ठेका दिया था।

अब यह ठेका ही सवालो के घेरे में आने लगा है। हादसे के बाद लोगों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं और सवाल हैं। दरअसल मोरबी नगर निगम और अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ओरेवा) के बीच पुल को लेकर हुवे अनुबंध ने कई सवाल खड़े कर दिए है। इस अनुबंध के लिए नगर निगम ने कोई भी टेंडर आमंत्रित नही किया था। मार्च 2022 से अगस्त 2037 तक 15 वर्षों के लिए मोरबी नगर निगम और ओरेवा के बीच मोरबी पुल को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत इन 15 वर्षों में पुल का संचालन एवं प्रबंधन, टिकट संग्रहण, सफाई, रख-रखाव का समस्त कार्य ओरेवा द्वारा किया जाएगा। इस बीच मोरबी नगर निगम व कलेक्टर ने ओरेवा ग्रुप को टिकट की कीमत 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये करने को कहा।

इस समझौते कोई गौर से देखे तो मिलेगा कि इन 15 वर्षों में, मोरबी पुल पर ओरेवा अपनी ब्रांडिंग और व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम दे सकती है। मोरबी पुल पर होने वाला सारा खर्च ओरेवा के हिस्से में होगा और कंपनी पुल की सफाई, टिकट बुकिंग और नकद लेनदेन का ध्यान रखेगी, जिसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। सबसे बड़ी बात इस समझौते को देखने के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में निकल कर सामने आ रही है कि इस पुल की मरम्मत के बाद फिर से खोलने से पहले कंपनी को फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा। इस तरह की किसी बात का जिक्र समझौते में नहीं है। इस समझौते के ऊपर सवालिया निशाँन लगाती हुवे रिपोर्ट में NDTV ने लिखा है कि “कंपनी को मार्च में मरम्मत कार्य के लिए 8-12 महीने का समय दिया गया था, लेकिन कंपनी ने 7 महीने में ही पुल खोल दिया।” सवाल ये भी उठता है कि कंपनी ने न्यूनतम समय से पहले ही पुल क्यों खोल दिया ?

हादसे के बाद राजकोट रेंज के आईजी अशोक यादव ने कहा था, “हमने IPC की धारा 114, 304, 308 के तहत 9 लोगों को गिरफ़्तार किया है। गिरफ़्तार लोगों में ओरेवा कंपनी के मैनेजर, टिकट क्लर्क, पुल की मरम्मत करने वाला ठेकेदार आदि लोग शामिल हैं”। मगर इनमे से कोई भी कंपनी के उच्चाधिकारियों की लिस्ट में शामिल नही है।, कंपनी के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल फिलहाल कहा है इसका पता किसी को नही है। एक प्रकार से जयसुख पटेल दुर्घटना के बाद से अज्ञातवास में है। मीडिया कर्मी उनसे सवाल करने उनके फार्म हाउस पर भी गए मगर वह कहा है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। मीडिया उनसे सवाल करना चाहती है कि इस ब्रिज पर जाने के लिए 17 रुपये का टिकट लेना पड़ता है और इस ब्रिज की क्षमता महज 125 लोगों की थी, मगर हादसे के दिन लगभग 500 लोगों को ब्रिज पर जाने दिया गया। इन सवालो की लम्बी फेहरिश्त के साथ ही दुर्घटना में घायलों का इलाज चल रहा है वही मृतकों के अंतिम संस्कार में भीड़ दिखाई दे रही है।

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