महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आरोपी को किया रिहा, कहा यकीन करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में 2 बच्चो की विधवा माँ के साथ हुआ बार-बार बलात्कार
शाहीन बनारसी (इनपुट: सायरा शेख)
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने एक व्यक्ति के खिलाफ रेप की प्राथमिकी और आरोपपत्र को खारिज कर दिया है। खबरिया साइट लाइव Live Low के अनुसार केस को खारिज करते वक्त अदालत ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में दो बच्चों की विधवा मां के साथ कई बार जबरदस्ती बलात्कार किया गया हो।
इस मामले के आरोपी ने महिला द्वारा कराई गई शिकायत और आरोप पत्र को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट की शरण ली थी। आरोपो के अनुसार इस महिला के पति की 18 मार्च 2017 को मौत हो गई थी और इसका आरोप है कि उस साल 13 जुलाई को जब वह अपने बच्चों के साथ थी तब आरोपी पानी पीने के बहाने उसके घर में आया था और उसने चाकू लहराया तथा जान से मारने की धमकी दी और महिला के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी ने उससे पैसे की मांग की थी। हालांकि, जब पीड़िता ने इनकार कर दिया, तो आरोपी ने कथित तौर पर उसके गहने ले लिए और उससे कहा कि वह उन्हें एक जौहरी के पास गिरवी रख देगा। इसके अलावा, प्राथमिकी में कहा गया है कि पीड़िता के साथ कई बार बलात्कार किया गया और उसे पीटा भी गया। अभियुक्त के वकील ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि प्राथमिकी देर से, झूठी और निराधार आरोपों से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि महिला दो बच्चों की विधवा है और घनी आबादी वाले इलाके में रहती है।
बचाव पक्ष ने दलील दिया कि आरोपी लंबे समय से एक-दूसरे को जानते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि जौहरी के बयान से पता चलता है कि गहने उसके आग्रह पर गिरवी रख दिए गए थे। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि उसके माता-पिता के बयान से पता चलता है कि वे कथित घटनाओं के बारे में अनभिज्ञ थे और वह खुद कभी भी उनसे मिलने नहीं गई और न ही उन्हें उनसे मिलने की अनुमति दी। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ चाकू की नोंक पर कई बार बलात्कार किया गया और उसके गहने जबरदस्ती छीन लिए गए।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीड़िता ने हिम्मत दिखाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है और आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सामग्री है। पीड़िता के वकील ने तर्क दिया कि उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया और आवेदक ने उसे और बच्चों को जान से मारने की धमकी दी थी। उन्होंने प्रस्तुत किया कि जांच समाप्त हो गई है और चार्जशीट दायर की गई है और इसलिए, आवेदक को मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।
औरंगाबाद बेंच ने पाया कि पीड़िता द्वारा छह महीने बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके अलावा, पूरक बयान से पता चला कि पीड़िता ने कहा था कि आवेदक नियमित रूप से उसके घर आता था. पता चला कि उसने अपना एटीएम कार्ड भी आरोपी को सौंप दिया था। इसलिए, यह मानने की गुंजाइश थी कि पुरुष और विधवा के बीच लंबे समय से संबंध थे, तब भी जब उसका पति जीवित था। अदालत ने कहा कि जौहरी के बयान से पता चलता है कि वह आरोपी और पीड़िता को जानता था और उसने खुद अपने गहने गिरवी रख दिए थे। अदालत ने कहा, “आश्चर्यजनक रूप से सूचना देने वाले (महिला के) माता-पिता ने भी पुलिस को बयान दिया है कि उनकी बेटी अलग रह रही थी और न तो उनसे मिलने गई और न ही उन्हें अपने घर आने दिया और इस तरह, वे किसी भी घटना से पूरी तरह अनजान थे।” बेंच ने कहा कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि आबादी वाले इलाके में विधवा के साथ रेप किया गया।