लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा “मोनू” की बढ़ी मुश्किलें, फिर अटकी ज़मानत, सेशन कोर्ट ने भेजा सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट, कहा 5 साल लगेगा ट्रायल पूरा होने में
फारुख हुसैन
डेस्क: लखीमपुर खीरी में किसान आन्दोलन के दरमियान किसानो को अपनी कार से कुचलने के आरोपी मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा “मोनू” की मुश्किलें कम होती नही दिखाई दे रही है. एक बार फिर आशीष मिश्रा की ज़मानत अटक गई है. वही सेशन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रायल पूरा होने में अभी 5 साल और लगेगे. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है।
बताते चले कि आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है, जिसमें कोर्ट ने मिश्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगा. आज सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लखीमपुर खीरी की रिपोर्ट को भी पढ़ा, जो कहती है कि इस मुकदमे को पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा, क्योंकि मामले में 208 गवाह हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में निचली अदालत से जानकारी मांगी थी कि बिना दूसरे मुकदमों पर असर डाले इस केस का निपटारा कितने समय में हो सकेगा। उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि हिंसा के सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं।
गौतलब हो कि 3 अक्टूबर 2020 को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। निरस्त किए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे विपक्षी दलों और किसान समूहों में आक्रोश पैदा करने वाली हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।