लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदने के आरोपी केन्द्रीय मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा मोनू को मिली सुप्रीम कोर्ट से जमानत, इन शर्तों को नही माना तो फिर जाना पड़ सकता है जेल
फारुख हुसैन
डेस्क: लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन के दरमियान किसानों को अपनी कार से रौंदने के आरोपी मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा मोनू को आज सुप्रीम कोर्ट से सशर्त ज़मानत मिल गई है। आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है। एक साल से ज्यादा से जेल में बंद आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी केस में 8 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत मिली है। इस दौरान वह दिल्ली में नहीं रहेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को भी एक सप्ताह में छोड़ने और पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे0के0 माहेश्वरी की पीठ ने ये आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 19 जनवरी को आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत की अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि अगर गवाहों को धमकाया गया, तो बेल केंसिल कर दी जाएगी। अगर यह पाया जाता है कि मिश्रा ट्रायल में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह उनकी जमानत रद्द करने का एक वैध आधार होगा। आशीष मिश्रा कोर्ट को अपनी लोकेशन के बारे में बताएंगे।
आशीष मिश्रा या उनके के परिवार के सदस्य द्वारा गवाह को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से जमानत रद्द हो जाएगी। आशीष मिश्रा ट्रायल मे भाग लेने को छोड़कर यूपी नहीं जाएंगे। साथ ही उनको अपने स्थान के अधिकार क्षेत्र के थाने में हाजिरी लगानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट जल्द सुनवाई पूरी करने को कहा है। 14 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी। आशीष मिश्रा की जमानत आगे बढ़ाई जाए या नहीं ये सुप्रीम कोर्ट 8 हफ्ते बाद तय करेगा।