किरण पटेल, मयंक तिवारी की ठगी में गिरफ़्तारी के बाद अब खुद को अमित शाह का ओएसडी बता कर लोगो को ठगने वाला यह बेरोजगार इंजिनियर जाने कैसे चढ़ा दिल्ली पुलिस के हत्थे
शफी उस्मानी/प्रमोद कुमार
डेस्क: आपको किरण पटेल यादो से उतरा नही होगा जो खुद को पीएमओ का वरिष्ठ अधिकारी बता कर लोगो को ठगता था। भारी सुरक्षा व्यवस्था के साथ कश्मीर घूम आता था। आखिर जब वह पकड़ा गया तो कई बड़े राज़ अभी तक नही खूल सके है। ऐसा ही एक ठग और पुलिस के हत्थे चढ़ा है जो कथित तौर पर खुद को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ऑफिसर-ऑन-स्पेशल-ड्यूटी के रूप में पेश करने के आरोप में पकड़ा गया है।
दिलचस्प बात यह है कि यह घटना इस साल की शुरुआत में हुई ऐसी ही एक घटना के बाद हुई है, जहां गुजरात के किरण पटेल को प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करने के आरोप में पकड़ा गया था। पटेल जेड प्लस सुरक्षा और अन्य विशेषाधिकारों का लाभ उठा रहे थे, उन्होंने जम्मू कश्मीर के अधिकारियों को सफलतापूर्वक धोखा देकर संवेदनशील इलाकों का भी दौरा किया था। वहीं, एक ताजा मामले में गुजरात के ही मयंक तिवारी को खुद को पीएमओ अधिकारी बताकर एक निजी स्कूल में दो बच्चों का दाखिला कराने की कोशिश करने और अपनी फर्जी पहचान का इस्तेमाल करके स्कूल से बड़ी रकम ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सवाल आरोपी व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत आईडी प्रूफ्स की प्रमाणिकता पर उठते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, पटेल के मामले में वह अहमदाबाद के मणिनगर क्षेत्र में छपा विजिटिंग कार्ड प्रस्तुत करते थे, जो छपाई/मुद्रण सेवाओं का एक जाना-पहचाना इलाका माना जाता है। इस घटना ने साधारण मुद्रण फर्मों तक आधिकारिक टिकटों की पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। पटेल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था, जिनमें किसी और की पहचान धारण करना, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात शामिल हैं।
यह घटना गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी हितेश पंड्या तक पहुच गई। क्योकि पंड्या का बेटा, अमित पंड्या, किरण पटेल की फर्जी ‘आधिकारिक टीम’ का हिस्सा था और उसने जेड प्लस सुरक्षा और आधिकारिक आवास का लाभ उठाया था। सुरक्षा बलों के साथ अमित की तस्वीरें सामने आने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए समन भेजा था। इन घटनाओं के आलोक में हितेश पंड्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय और गुजरात मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रतिष्ठा के प्रति अपनी चिंता व्यक्त हुए अपना इस्तीफा दे दिया था।
क्या है बेरोजगार इंजिनियर पर आरोप
द वायर ने अपनी खबर में सूत्रों के हवाले से बताया है कि आरोपी की पहचान उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी 48 वर्षीय रॉबिन उपाध्याय के रूप में हुई है। आरोपी ने दावा किया कि वह 25 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम करने वाला एक पेशेवर है। पुलिस के मुताबिक, उपाध्याय की नजर गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के उपाध्यक्ष-सह-परियोजना समन्वयक के पद पर थी।
बताया जाता है कि यह मामला तब सामने आया, जब अक्षत शर्मा नामक व्यक्ति ने नई दिल्ली के साइबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। शर्मा ने बताया कि उनकी आधिकारिक आईडी पर एक फर्जी प्रतीत होते ईमेल एड्रेस से एक ईमेल प्राप्त हुआ था, जो कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री के ओएसडी राजीव कुमार का था। ईमेल में आरोपी रॉबिन उपाध्याय ने शर्मा को गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए वरिष्ठ एसोसिएट उपाध्यक्ष-सह-परियोजना समन्वयक के रूप में अपनी नियुक्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। अपनी जांच में पुलिस को पता चला कि ईमेल आईडी rajeev.osd.mha@gmail.com एक फर्जी अकाउंट था जो पूरी तरह से लोगों को धोखा देने के लिए बनाया गया था।
मिल रही जानकारी के अनुसार तकनीकी निगरानी के माध्यम से पुलिस टीम ने मुख्य संदिग्ध रॉबिन उपाध्याय की सफलतापूर्वक पहचान कर ली। आगे के विश्लेषण से पता चला कि ईमेल आईडी छह से सात दिन पहले बनाई गई थी और उपाध्याय के नाम से पंजीकृत थी। अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शनिवार (8 जुलाई) शाम को उपाध्याय का पता लगाया और उन्हें मेरठ स्थित उनके आवास पर हिरासत में ले लिया।
इसके बाद उन्हें मामले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया, इसकी पुष्टि नई दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने मीडिया से की है। पूछताछ के दौरान उपाध्याय ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उन्होंने कहा कि एक सिविल इंजीनियर होने के नाते उनके पास सिविल निर्माण परियोजनाओं में व्यापक अनुभव है और उन्होंने अपनी जगह बनाने के लिए वर्तमान में जारी राजमार्ग परियोजनाओं और उनकी प्रगति पर शोध भी किया।