प्रदेश के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश का अलर्ट, येलो व ऑरेंज अलर्ट जारी
मो0 कुमेल
डेस्क: काफी गर्मी से घिरे प्रदेश में एक बार फिर बारिश के मौसम ने दस्तक दे दिया है। उत्तर प्रदेश के कई जिलो में बारिश हुई है। इसके साथ ही अभी भी भारी बारिश का अलर्ट जारी है। बताते चले कि उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ भारी बरसात को लेकर मौसम विभाग का येलो व ऑरेंज अलर्ट अभी भी बरकरार है। मौसम विभाग लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, लखीमपुर खीरी, हरदोई और सीतापुर में आंधी-तूफान का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर व आसपास के इलाकों में भारी बरसात को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। लखनऊ में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई जो कि रविवार पूरी रात होती रही। मौसम को देखते हुए लखनऊ जिले के सभी स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई।
जिला प्रशासन ने संदेश जारी करते हुए कहा है कि मौसम विभाग द्वारा जारी भीषण बिजली कड़कने और भारी वर्षा के मद्देनजर लखनऊ में कोई अनावश्यक बाहर खुले में ना घूमे। भीषण बिजली कड़कने की संभावना है। असुरक्षित भवनों व पेड़ो के संपर्क में आने से बचें। जनपदवासियों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहे। मौसम विभाग ने लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर, बाराबंकी, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बंदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, व आसपास भारी बरसात का येलो अलर्ट जारी किया है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक 12 सितंबर तक मौसम ऐसा ही रहेगा, 13 से मानसून की सक्रियता में कमी आएगी, पश्चिमी इलाकों में बारिश की तीव्रता घटेगी। उधर, प्रदेश में जारी धीमी तेज बारिश के बीच शनिवार शाम से रविवार शाम तक मुरादाबाद में सर्वाधिक बरसात रिकार्ड की गई। जबकि बीते 24 घंटे से प्रदेश में कहीं भारी तो कहीं मध्यम बरसात रुक रुक कर जारी है। वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बारिश के दृष्टिगत संबंधित जनपदों के अधिकारियों को पूरी तत्परता से राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी क्षेत्र का भ्रमण कर राहत कार्य पर नज़र रखें। आपदा से प्रभावित लोगों को अनुमन्य राहत राशि का अविलंब वितरण करें। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश भी दिए हैं कि जल भराव की स्थिति में जल निकासी के लिए प्रभावी प्रबंध किए जाएं। नदियों के जल स्तर की सतत निगरानी की जाए। फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर शासन को आख्या उपलब्ध कराई जाए तक प्रभावित किसानों को नियमानुसार मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जा सके।